Wednesday 16 November 2022

कविता. ४६२७. सपनों कि आस अक्सर।

                                   सपनों कि आस अक्सर। 

सपनों कि आस अक्सर तलाश दिलाती है लहरों को इशारों कि रोशनी अफसाना देती है कदमों कि आहट अक्सर अरमानों कि पहचान दिलाती है।

सपनों कि आस अक्सर परख दिलाती है नजारों को दिशाओं कि समझ अल्फाज देती है जज्बातों कि सोच अक्सर उम्मीदों कि पहचान दिलाती है।

सपनों कि आस अक्सर बदलाव दिलाती है राहों को अंदाजों कि कोशिश सुबह देती है तरानों कि पुकार अक्सर उजालों कि पहचान दिलाती है।

सपनों कि आस अक्सर सौगात दिलाती है लम्हों को खयालों कि सोच इशारा देती है लम्हों कि रोशनी अक्सर दिशाओं कि पहचान दिलाती है।

सपनों कि आस अक्सर सुबह दिलाती है इरादों को आशाओं कि सरगम परख देती है बदलावों कि मुस्कान अक्सर अदाओं कि पहचान दिलाती है।

सपनों कि आस अक्सर कोशिश दिलाती है लहरों को इशारों कि रोशनी किनारा देती है अरमानों कि परख अक्सर खयालों कि पहचान दिलाती है।

सपनों कि आस अक्सर उमंग दिलाती है अंदाजों को बदलावों कि कोशिश बदलाव देती है आवाजों कि सरगम अक्सर कदमों कि पहचान दिलाती है।

सपनों कि आस अक्सर उम्मीद दिलाती है नजारों को दिशाओं कि समझ पुकार देती है दास्तानों कि आवाज अक्सर किनारों कि पहचान दिलाती है।

सपनों कि आस अक्सर सोच दिलाती है आशाओं को जज्बातों कि मुस्कान अदा देती है राहों कि कोशिश अक्सर उजालों कि पहचान दिलाती है।

सपनों कि आस अक्सर मुस्कान दिलाती है दास्तानों को अदाओं कि परख रोशनी देती है नजारों कि सोच अक्सर आवाजों कि पहचान दिलाती है।

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