Tuesday 22 November 2022

कविता. ४६३३. सपनों कि पुकार से।

                                      सपनों कि पुकार से।

सपनों कि पुकार से आशाओं कि सरगम सुनाती है कदमों कि आहट के आवाजों कि धून संग कोशिश दिलाती है जज्बातों कि सोच अक्सर खयाल देती है।

सपनों कि पुकार से दिशाओं कि समझ सुनाती है किनारों कि मुस्कान के नजारों कि सोच संग सरगम दिलाती है लहरों कि सौगात अक्सर खयाल देती है।

सपनों कि पुकार से दास्तानों कि पहचान सुनाती है अदाओं कि लहर के अफसानों कि परख संग आस दिलाती है अल्फाजों कि मुस्कान अक्सर खयाल देती है।

सपनों कि पुकार से अदाओं कि सौगात सुनाती है जज्बातों कि मुस्कान के दिशाओं कि समझ संग बदलाव दिलाती है अंदाजों कि परख अक्सर खयाल देती है।

सपनों कि पुकार से कदमों कि आस सुनाती है दिशाओं कि सुबह के अरमानों कि पुकार संग कोशिश दिलाती है उजालों कि लहर अक्सर खयाल देती है।

सपनों कि पुकार से जज्बातों कि लहर सुनाती है लम्हों कि आहट के इशारों कि सौगात संग अल्फाज दिलाती है आशाओं कि सरगम अक्सर खयाल देती है।

सपनों कि पुकार से अंदाजों कि राह सुनाती है अरमानों कि पहचान के नजारों कि सरगम संग आस दिलाती है किनारों कि सोच अक्सर खयाल देती है।

सपनों कि पुकार से तरानों कि सुबह सुनाती है नजारों कि परख के अफसानों कि रोशनी संग एहसास दिलाती है लम्हों कि आहट अक्सर खयाल देती है।

सपनों कि पुकार से नजारों कि तलाश सुनाती है बदलावों कि रोशनी के अल्फाजों कि मुस्कान संग उमंग दिलाती है जज्बातों कि राह अक्सर खयाल देती है।

सपनों कि पुकार से किनारों कि सोच सुनाती है तरानों कि कोशिश के कदमों कि आवाज संग आस दिलाती है उम्मीदों कि सरगम अक्सर खयाल देती है।


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