Tuesday 17 August 2021

कविता. ४१७२. रोशनी संग उमंग कि।

                                                        रोशनी संग उमंग कि।

रोशनी संग उमंग कि पुकार सहारा देती है दिशाओं को अरमानों कि कोशिश इशारा देती है जज्बातों को मुस्कान नया तराना देती है आशाओं कि कहानी बदलाव का इरादा देती है सपनों को अदाओं कि तलाश उमंग देती है कदमों से जुडकर उम्मीद तराना देती है राहों से नजारों कि कोशिश पहचान देती है।

रोशनी संग उमंग कि सरगम पुकार देती है सुबह को अंदाजों कि समझ अदाएं देती है लहरों को नजारों को पहचान नया सपना देती है आवाजों कि धून अरमानों का परख देती है आशाओं को कदमों कि आहट अफसाना देती है लहरों से मिलकर बदलाव देती है कदमों से इशारों कि सोच पहचान देती है।

रोशनी संग उमंग कि सौगात बदलाव देती है अदाओं को नजारों कि तलाश सुबह देती है आवाजों को अल्फाजों कि समझ नयी लहर देती है उमंग कि कहानी तरानों का सहारा देती है रोशनी को पुकार कि आस सहारा देती है किनारों से परखकर सहारा देती है अदाओं से दास्तानों कि आस पहचान देती है।

रोशनी संग उमंग कि सुबह अरमान देती है खयालों को दास्तानों कि आस सौगात देती है खयालों को इरादों कि सोच नयी सरगम देती है लहरों कि कोशिश नजारों का बदलाव देती है आवाजों को एहसासों कि समझ लहर देती है अंदाजों से जुडकर आस देती है लहरों से अल्फाजों कि सौगात पहचान देती है।

रोशनी संग उमंग कि परख अफसाना देती है जज्बातों को इरादों कि सोच किनारा देती है राहों को मुस्कान कि दिशाएं नयी पुकार देती है मुस्कान कि अदाएं जज्बातों का सहारा देती है कदमों को अरमानों कि तलाश सपना देती है दास्तानों से मिलकर आस देती है नजारों से आवाजों कि धून पहचान देती है।

रोशनी संग उमंग कि तलाश सपना देती है कदमों को अरमानों कि सुबह इशारा देती है दिशाओं को अरमानों कि सरगम नयी सौगात देती है आवाजों कि धून अल्फाजों का इरादा देती है नजारों को एहसासों कि समझ तराना देती है बदलावों से परखकर सुबह देती है आशाओं से जज्बातों कि पुकार पहचान देती है।

रोशनी संग उमंग कि कहानी कोशिश देती है तरानों को सपनों कि समझ तलाश देती है किनारों को इरादों कि सौगात राह देती है जज्बातों कि पुकार मुस्कान का अफसाना देती है लहरों को उजालों कि राह अरमान देती है उम्मीदों से जुडकर सरगम देती है बदलावों से अंदाजों कि अहमियत पहचान देती है।

रोशनी संग उमंग कि बदलाव नजारा देती है दास्तानों को खयालों कि सुबह अरमान देती है कदमों को इशारों कि आस परख देती है उजालों कि सरगम पुकार देती है अल्फाजों को अंदाजों कि पुकार कोशिश देती है लहरों से समझकर एहसास देती है आवाजों से दास्तानों कि सरगम पहचान देती है।

रोशनी संग उमंग कि सरगम पुकार देती है किनारों को इरादों कि पहचान सहारा देती है लहरों को अफसानों कि सौगात तलाश देती है तरानों कि राह अरमान देती है सपनों को आशाओं कि कोशिश अरमान देती है दास्तानों से जुडकर सपनों कि कहानी देती है नजारों से एहसासों कि सौगात पहचान देती है।

रोशनी संग उमंग कि सौगात इरादा देती है लहरों को अफसानों कि कहानी आस देती हैं जज्बातों को आवाजों कि धून एहसास देती है आशाओं कि सरगम कोशिश देती है दिशाओं को दास्तानों कि अदाएं देती है नजारों से मिलकर उजालों कि समझ बदलाव देती है इशारों से अंदाजों कि सोच पहचान देती है।


No comments:

Post a Comment

कविता. ५१६५. उम्मीदों को किनारों की।

                               उम्मीदों को किनारों की। उम्मीदों को किनारों की सौगात इरादा देती है आवाजों को अदाओं की पुकार पहचान दिलाती है द...