Wednesday, 19 June 2024

कविता. ५२०८. अफसानों संग अरमानों की।

                           अफसानों संग अरमानों की।

अफसानों संग अरमानों की समझ सरगम सुनाती है लम्हों को किनारों से एहसासों की तलाश पहचान सुनाती है नजारों को दिशाओं की मुस्कान सुनाती है।

अफसानों संग अरमानों की पुकार आवाज सुनाती है लहरों को इशारों से अंदाजों की परख अहमियत सुनाती है जज्बातों को कदमों की मुस्कान सुनाती है।

अफसानों संग अरमानों की सौगात तलाश सुनाती है राहों को सपनों से खयालों की कोशिश अल्फाज सुनाती है दास्तानों को एहसासों की मुस्कान सुनाती है।

अफसानों संग अरमानों की उमंग सपना सुनाती है आशाओं को बदलावों से लहरों की सुबह इशारा सुनाती है तरानों को उम्मीदों की मुस्कान सुनाती है।

अफसानों संग अरमानों की आस आहट सुनाती है अदाओं को अल्फाजों से किनारों की सोच कोशिश सुनाती है उजालों को दास्तानों की मुस्कान सुनाती है।

अफसानों संग अरमानों की रोशनी सोच सुनाती है एहसासों को उम्मीदों से अदाओं की सरगम सपना सुनाती है इशारों को लहरों की मुस्कान सुनाती है।

अफसानों संग अरमानों की सुबह अल्फाज सुनाती है नजारों को दिशाओं से आशाओं की परख एहसास सुनाती है कदमों को उजालों की मुस्कान सुनाती है।

अफसानों संग अरमानों की परख इरादा सुनाती है खयालों को लम्हों से आवाजों की धून अहमियत सुनाती है किनारों को अंदाजों की मुस्कान सुनाती है।

अफसानों संग अरमानों की लहर कोशिश सुनाती है राहों को बदलावों से कदमों की पुकार पहचान सुनाती है इरादों को अदाओं की मुस्कान सुनाती है।


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