Saturday, 22 June 2024

कविता. ५२११. किनारों को सपनों संग।

                                किनारों को सपनों संग।

किनारों को सपनों संग सरगम अल्फाज सुनाती है अरमानों को दिशाओं की कहानी सौगात सुनाती है एहसासों को उम्मीदों की तलाश आहट सुनाती है।

किनारों को सपनों संग उमंग कोशिश सुनाती है अंदाजों को बदलावों की मुस्कान सोच सुनाती है अफसानों को लहरों की परख आहट सुनाती है।

किनारों को सपनों संग पुकार सोच सुनाती है दिशाओं को कदमों की समझ तलाश सुनाती है उजालों को बदलावों की सोच आहट सुनाती है।

किनारों को सपनों संग अदा दास्तान सुनाती है जज्बातों को अंदाजों की आस कोशिश सुनाती है लम्हों को दास्तानों की कहानी आहट सुनाती है।

किनारों को सपनों संग रोशनी आवाज सुनाती है लहरों को राहों की रोशनी पुकार सुनाती है नजारों को खयालों की सौगात आहट सुनाती है।

किनारों को सपनों संग पहचान इशारा सुनाती है तरानों को अरमानों की आस एहसास सुनाती है अल्फाजों को आशाओं की मुस्कान आहट सुनाती है।

किनारों को सपनों संग आस अरमान सुनाती है आवाजों को उमंग की अहमियत सरगम सुनाती है लहरों को खयालों की सुबह आहट सुनाती है।

किनारों को सपनों संग परख कोशिश सुनाती है उजालों को धाराओं की धून अफसाना सुनाती है अदाओं को इरादों की आस आहट सुनाती है।

किनारों को सपनों संग समझ अफसाना सुनाती है इशारों को अंदाजों की कहानी पहचान सुनाती है जज्बातों को सपनों की आवाज आहट सुनाती है।

किनारों को सपनों संग सौगात तराना सुनाती है बदलावों को लम्हों की पुकार कोशिश सुनाती है अफसानों को लम्हों की कहानी आहट सुनाती है।

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