Saturday, 21 June 2025

कविता. ५५४५. किनारों से आशाओं की।

                           किनारों से आशाओं की।

किनारों से आशाओं की समझ अक्सर पहचान दिलाती है तरानों को बदलावों की महफिल अफसाना सुनाती है।

किनारों से आशाओं की तलाश अक्सर अरमान दिलाती है उजालों को सपनों की अहमियत अफसाना सुनाती है।

किनारों से आशाओं की उमंग अक्सर दास्तान दिलाती है बदलावों को धाराओं की सरगम अफसाना सुनाती है।

किनारों से आशाओं की कोशिश अक्सर मुस्कान दिलाती है अल्फाजों को नजारों की तलाश अफसाना सुनाती है।

किनारों से आशाओं की परख अक्सर जज्बात दिलाती है कदमों को दास्तानों की आहट अफसाना सुनाती है।

किनारों से आशाओं की उम्मीद अक्सर अंदाज दिलाती है लहरों को अरमानों की रोशनी अफसाना सुनाती है।

किनारों से आशाओं की सोच अक्सर सरगम दिलाती है एहसासों को जज्बातों की कोशिश अफसाना सुनाती है।

किनारों से आशाओं की सुबह अक्सर आवाज दिलाती है अंदाजों को सपनों की लहर अफसाना सुनाती है।

किनारों से आशाओं की सरगम अक्सर उजाला दिलाती है अदाओं को एहसासों की आस अफसाना सुनाती है।

किनारों से आशाओं की सौगात अक्सर इशारा दिलाती है खयालों को राहों की उमंग अफसाना सुनाती है।

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