Saturday, 28 June 2025

कविता. ५५५२. अरमानों की सोच संग।

                           अरमानों की सोच संग।

अरमानों की सोच संग अल्फाजों की दुनिया से पुकार दिलाती है लहरों को दास्तानों की पहचान अक्सर जज्बात दिलाती है।

अरमानों की सोच संग एहसासों की समझ‌‌ से बदलाव दिलाती है कदमों को सपनों की आहट अक्सर जज्बात दिलाती है।

अरमानों की सोच संग दिशाओं की महफिल‌ से मुस्कान दिलाती है राहों को तरानों की सौगात अक्सर जज्बात दिलाती है।

अरमानों की सोच संग किनारों की कोशिश से अफसाना दिलाती है लम्हों को आशाओं की कहानी अक्सर जज्बात दिलाती है।

अरमानों की सोच संग अंदाजों की सुबह से उमंग दिलाती है खयालों को लहरों की तलाश अक्सर जज्बात दिलाती है।

अरमानों की सोच संग‌ नजारों की आहट से पहचान दिलाती है आवाजों को धाराओं की पुकार अक्सर जज्बात दिलाती है।

अरमानों की सोच संग उजालों की रोशनी से आस दिलाती है एहसासों को अफसानों की सोच अक्सर जज्बात दिलाती है।

अरमानों की सोच संग उम्मीदों की परख से सपना दिलाती है अंदाजों को बदलावों की रोशनी अक्सर जज्बात दिलाती है।

अरमानों की सोच संग लहरों की आस से मुस्कान दिलाती है इरादों को खयालों की उम्मीद अक्सर जज्बात दिलाती है।

अरमानों की सोच‌ संग लम्हों की सुबह से पहचान दिलाती है अल्फाजों को नजारों की कोशिश अक्सर जज्बात दिलाती है।

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