Tuesday, 15 July 2025

कविता. ५५६९. दास्तान को अदाओं की।

                         दास्तान को अदाओं की।

दास्तान को अदाओं की सरगम लहर दिलाती है राहों की अहमियत अक्सर कोशिश सुनाती है लहरों की सुबह दिलाती है।

दास्तान को अदाओं की उमंग आवाज दिलाती है दिशाओं की महफिल अक्सर सौगात सुनाती है किनारों की सुबह दिलाती है।

दास्तान को अदाओं की आस अल्फाज दिलाती है कदमों की धून अक्सर बदलाव सुनाती है तरानों की सुबह दिलाती है।

दास्तान को अदाओं की समझ उजाला दिलाती है इरादों की पहचान अक्सर परख सुनाती है उम्मीदों की सुबह दिलाती है।

दास्तान को अदाओं की सोच अरमान दिलाती है जज्बातों की रोशनी अक्सर पहचान सुनाती है लम्हों की सुबह दिलाती है।

दास्तान को अदाओं की राह नजारा दिलाती है इशारों की सरगम अक्सर खयाल सुनाती है एहसासों की सुबह दिलाती है।

दास्तान को अदाओं की सौगात आहट दिलाती है आशाओं की कहानी अक्सर अरमान सुनाती है सपनों की सुबह दिलाती है।

दास्तान को अदाओं की पुकार अंदाज दिलाती है खयालों की रोशनी अक्सर अफसाना सुनाती है उजालों की सुबह दिलाती है।

दास्तान को अदाओं की उम्मीद खयाल‌ दिलाती है नजारों की आवाज अक्सर मुस्कान सुनाती है लहरों की सुबह दिलाती है।

दास्तान को अदाओं की सोच तराना दिलाती है जज्बातों की पुकार अक्सर तलाश सुनाती है इरादों की सुबह दिलाती है।

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