Thursday, 31 July 2025

कविता. ५५८५. उजालों की सुबह संग।

                              उजालों की सुबह संग।

उजालों की सुबह संग नजारों से एहसासों की तलाश इशारा दिलाती है सपनों की पुकार अक्सर अफसानों की कोशिश से रोशनी दिलाती है।

उजालों की सुबह संग अरमानों से उम्मीदों की आस अल्फाज दिलाती है कदमों की सौगात अक्सर अफसानों की धून से रोशनी दिलाती है।

उजालों की सुबह संग अंदाजों से बदलावों की पुकार उमंग दिलाती है आवाजों की समझ अक्सर नजारों की लहर‌ से रोशनी दिलाती है।

उजालों की सुबह संग जज्बातों से दास्तानों की सरगम तराना दिलाती है एहसासों की पहचान अक्सर दिशाओं की महफिल से रोशनी दिलाती है।

उजालों की सुबह संग आशाओं से किनारों की आहट बदलाव दिलाती है इरादों की अहमियत अक्सर अंदाजों की परख से रोशनी दिलाती है।

उजालों की सुबह संग खयालों से राहों की सौगात तलाश दिलाती है लम्हों की आवाज अक्सर दास्तानों की समझ से रोशनी दिलाती है।

उजालों की सुबह संग धाराओं से अफसानों की आस अरमान दिलाती है किनारों की मुस्कान अक्सर इरादों की सोच से रोशनी दिलाती है।

उजालों की सुबह संग तरानों से जज्बातों की आहट आवाज दिलाती है लहरों की कहानी अक्सर खयालों की राह से रोशनी दिलाती है।

उजालों की सुबह संग दास्तानों से तरानों की उमंग इशारा दिलाती है एहसासों की आस अक्सर लहरों की पुकार से रोशनी दिलाती है।

उजालों की सुबह संग उम्मीदों से दिशाओं की महफिल आहट दिलाती है कदमों की तलाश अक्सर सपनों की अदा से रोशनी दिलाती है।

No comments:

Post a Comment

कविता. ५७०७. अरमानों की आहट अक्सर।

                       अरमानों की आहट अक्सर। अरमानों की आहट  अक्सर जज्बात दिलाती है लम्हों को एहसासों की पुकार सरगम सुनाती है तरानों को अफसा...