Friday, 25 July 2025

कविता. ५५७९. किनारों को सपनों संग।

                              किनारों को सपनों संग।

किनारों को सपनों संग आशाओं की मुस्कान तलाश दिलाती है लहरों से जज्बातों की अल्फाज अहमियत देकर जाती है।

किनारों को सपनों संग अंदाजों की उमंग अरमान दिलाती है कदमों से आवाजों की धून अहमियत देकर जाती है।

किनारों को सपनों संग दिशाओं की महफिल खयाल दिलाती है अदाओं से दास्तानों की पुकार अहमियत देकर जाती है।

किनारों को सपनों संग उजालों की आस इशारा दिलाती है बदलावों से उम्मीदों की परख अहमियत देकर जाती है।

किनारों को सपनों संग जज्बातों की आहट रोशनी दिलाती है आशाओं से अरमानों की सोच अहमियत देकर जाती है।

किनारों को सपनों की बदलावों की समझ तराना दिलाती है अफसानों से राहों की पहचान अहमियत देकर जाती है।

किनारों को सपनों की एहसासों की सोच उम्मीद दिलाती है दास्तानों से अदाओं की सरगम अहमियत देकर जाती है।

किनारों को सपनों संग लहरों की कहानी कोशिश दिलाती है धाराओं से तरानों की दुनिया अहमियत देकर जाती है।

किनारों को सपनों संग कदमों की आवाज एहसास दिलाती है उम्मीदों से बदलावों की आस अहमियत देकर जाती है।

किनारों को सपनों संग इशारों की सौगात मुस्कान दिलाती है खयालों से अंदाजों की कोशिश अहमियत देकर जाती है।

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