Tuesday 13 April 2021

कविता. ४०४९. किसी किनारे अक्सर एक।

                                                     किसी किनारे अक्सर एक।

किसी किनारे अक्सर एक आस बैठी मिलती है एहसासों को नये लम्हों कि प्यास मिलती है जज्बातों से जुडकर आशाओं कि कहानी उडान भरती है कोशिश को इरादों कि सोच सरगम देती है दिशाओं से मिलकर अंदाजों कि आस पुकार देती है दास्तानों को खयालों कि समझ सुबह देती है कदमों को समझ देती है।

किसी किनारे अक्सर एक परख बैठी मिलती है आवाजों को नये सपनों कि समझ मिलती है अंदाजों से जुडकर रोशनी कि सौगात उडान भरती है दिशाओं को अरमानों कि दास्तान नजारा देती है अदाओं से मिलकर खयालों कि तलाश सपना देती है कदमों को इशारों कि सोच तराना देती है लहरों को समझ देती है।

किसी किनारे अक्सर एक तलाश बैठी मिलती है आशाओं को नये अरमानों कि सुबह मिलती है आवाजों से जुडकर दास्तानों कि सोच उडान भरती है नजारों को एहसासों कि सौगात तलाश देती है जज्बातों से मिलकर तरानों कि राह अफसाना देती है अदाओं को नजारों कि तलाश सहारा देती है रोशनी को समझ देती है।

किसी किनारे अक्सर एक कोशिश बैठी मिलती है अंदाजों को नये सपनों कि सौगात मिलती है नजारों से जुडकर राहों कि मुस्कान उडान भरती है आवाजों को अल्फाजों कि सुबह अदाएं देती है कोशिश से मिलकर अंदाजों कि आस लहर देती है अदाओं को अरमानों कि सरगम एहसास देती है उजालों को समझ देती है।

किसी किनारे अक्सर एक उमंग बैठी मिलती है अदाओं को नये तरानों कि राह मिलती है उम्मीदों से जुडकर एहसासों कि सुबह उडान भरती है दास्तानों को आशाओं कि कहानी अरमान देती है इशारों से मिलकर जज्बातों कि पुकार रोशनी देती है अफसानों को अदाओं कि राह बदलाव देती है तरानों को समझ देती है।

किसी किनारे अक्सर एक लहर बैठी मिलती है जज्बातों को नये लम्हों कि कहानी मिलती है इशारों से जुडकर कोशिश कि आस उडान भरती है नजारों को एहसासों कि सौगात तलाश देती है दिशाओं से मिलकर आशाओं कि धून मुस्कान देती है लहरों को उजालों कि सोच अरमान देती है अंदाजों को समझ देती है।

किसी किनारे अक्सर एक सोच बैठी मिलती है कदमों को नये सपनों कि तलाश मिलती है अदाओं से जुडकर आवाज कि सरगम उडान भरती है अंदाजों को बदलावों कि धाराएं पुकार देती है लहरों से मिलकर राहों कि पहचान सहारा देती है अल्फाजों को खयालों कि परख बदलाव देती है एहसासों को समझ देती है।

किसी किनारे अक्सर एक तरंग बैठी मिलती है तरानों को नये अरमानों कि सरगम मिलती है जज्बातों से जुडकर आस कि तलाश उडान भरती है उम्मीदों को आशाओं कि कहानी सौगात देती है आशाओं से मिलकर लहरों कि सरगम तराना देती है अदाओं को नजारों कि पहचान सहारा देती है कदमों को समझ देती है।

किसी किनारे अक्सर एक आस बैठी मिलती है लहरों को नये आवाजों कि धून मिलती है अरमानों से जुडकर रोशनी कि सोच उडान भरती है उजालों को दिशाओं कि पहचान सरगम देती है खयालों से मिलकर अंदाजों कि पुकार कोशिश देती है एहसासों को राहों कि मुस्कान तराना देती है आवाजों को समझ देती है।

किसी किनारे अक्सर एक परख बैठी मिलती है सपनों को नये लम्हों कि कहानी मिलती है आशाओं से जुडकर सरगम कि तलाश उडान भरती है लहरों को अफसानों कि सौगात उम्मीद देती है नजारों से मिलकर उजालों कि सोच सुबह देती है दास्तानों को जज्बातों कि पुकार रोशनी देती है उम्मीदों को समझ देती है।


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कविता. ५१६६. कोशिश की कहानी अक्सर।

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