Thursday, 11 July 2024

कविता. ५२३०. उमंग कोई अल्फाज की।

                             उमंग कोई अल्फाज की।

उमंग कोई अल्फाज की कहानी लिखती है दिशाओं को कदमों की सुबह पुकार दिलाती है लहरों को अरमानों की कोशिश पहचान दिलाती है।

उमंग कोई अल्फाज की सरगम सुनाती है तरानों को अरमानों की आहट बदलाव दिलाती है जज्बातों को अंदाजों की सोच पहचान दिलाती है।

उमंग कोई अल्फाज की आवाज देकर जाती है राहों को सपनों की आस नजारा दिलाती है अफसानों को लहरों की मुस्कान पहचान दिलाती है।

उमंग कोई अल्फाज की तलाश सुनाती है नजारों को दिशाओं की परख सहारा दिलाती है खयालों को उम्मीदों की समझ पहचान दिलाती है।

उमंग कोई अल्फाज की कोशिश लिखती है अरमानों को अदाओं की सरगम सौगात दिलाती है लम्हों को किनारों की लहर पहचान दिलाती है।

उमंग कोई अल्फाज की अरमान देकर जाती है जज्बातों को कदमों की सोच इशारा दिलाती है दास्तानों को उजालों की पुकार पहचान दिलाती है।

उमंग कोई अल्फाज की आस सुनाती है एहसासों को तरानों की कहानी बदलाव दिलाती है आवाजों को बदलावों की सोच पहचान दिलाती है।

उमंग कोई अल्फाज की सोच लिखती है अरमानों को लहरों की आहट सुबह दिलाती है तरानों को सपनों की अहमियत पहचान दिलाती है।

उमंग कोई अल्फाज की नजारा देकर जाती है आशाओं को राहों की मुस्कान समझ दिलाती है आशाओं को नजारों की रोशनी पहचान दिलाती है।

उमंग कोई अल्फाज की सुबह सुनाती है अफसानों को दिशाओं की अहमियत मुस्कान दिलाती है किनारों को आशाओं की सरगम पहचान दिलाती है।

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