Wednesday, 24 July 2024

कविता. ५२४३. किनारों को अल्फाजों की।

                             किनारों को अल्फाजों की।

किनारों को अल्फाजों की आहट सुबह देकर जाती है जज्बातों को कदमों की सोच इशारा दिलाती है उजालों को बदलावों की आस सुनाती है।

किनारों को अल्फाजों की आस एहसास देकर जाती है अफसानों को दिशाओं की कहानी आवाज दिलाती है जज्बातों को अरमानों की आस सुनाती है।

किनारों को अल्फाजों की रोशनी सरगम देकर जाती है उम्मीदों को आशाओं की मुस्कान पहचान दिलाती है इरादों को अंदाजों की आस सुनाती है।

किनारों को अल्फाजों की समझ सहारा देकर जाती है तरानों को उम्मीदों की कहानी सौगात दिलाती है अदाओं को खयालों की आस सुनाती है।

किनारों को अल्फाजों की सोच अफसाना देकर जाती है इरादों को अंदाजों की परख उमंग दिलाती है राहों को दास्तानों की आस सुनाती है।

किनारों को अल्फाजों की कोशिश तलाश देकर जाती है अरमानों को सपनों की सुबह एहसास दिलाती है कदमों को लहरों की आस सुनाती है।

किनारों को अल्फाजों की सरगम तराना देकर जाती है आवाजों को बदलावों की मुस्कान आहट दिलाती है तरानों को सपनों की आस सुनाती है।

किनारों को अल्फाजों की उमंग सुबह देकर जाती है इरादों को अदाओं की पुकार सहारा दिलाती है अरमानों को अंदाजों की आस सुनाती है।

किनारों को अल्फाजों की पुकार अरमान देकर जाती है सपनों को इशारों की कहानी बदलाव दिलाती है लम्हों को नजारों की आस सुनाती है।

किनारों को अल्फाजों की पहचान इरादा देकर जाती है दास्तानों को अदाओं की राह कोशिश दिलाती है आवाजों को उम्मीदों की आस सुनाती है।


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