Friday, 12 July 2024

कविता. ५२३१. बदलाव किसी इशारे संग।

                      बदलाव किसी इशारे संग।

बदलाव किसी इशारे संग सरगम सुनाता है तरानों को आशाओं की आस तलाश दिलाती है सपनों की पुकार सुनाती है।

बदलाव किसी इशारे संग जज्बात सुनाता है नजारों को अदाओं की पहचान नजारा दिलाती है लहरों की पुकार सुनाती है।

बदलाव किसी इशारे संग सोच सुनाता है किनारों को राहों की मुस्कान अंदाज दिलाती है उजालों की पुकार सुनाती है।

बदलाव किसी इशारे संग अरमान सुनाता है लहरों को आशाओं की आस एहसास दिलाती है एहसासों की पुकार सुनाती है।

बदलाव किसी इशारे संग अल्फाज़ सुनाता है लम्हों को अरमानों की उम्मीद तराना दिलाती है उजालों की पुकार सुनाती है।

बदलाव किसी इशारे संग लहर सुनाता है आवाजों को सपनों की धून पहचान दिलाती है दास्तानों की पुकार सुनाती है।

बदलाव किसी इशारे संग उमंग सुनाता है अफसानों को कदमों की आहट सुबह दिलाती है नजारों की पुकार सुनाती है।

बदलाव किसी इशारे संग कोशिश सुनाता है लहरों को आवाजों की सौगात सपना दिलाती है अरमानों की पुकार सुनाती है।

बदलाव किसी इशारे संग पहचान सुनाता है दिशाओं को उजालों की आस उम्मीद दिलाती है अंदाजों की पुकार सुनाती है।

बदलाव किसी इशारे संग मुस्कान सुनाता है कदमों को अफसानों की तलाश उजाला दिलाती है किनारों की पुकार सुनाती है।



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