Sunday, 7 July 2024

कविता. ५२२६. सपनों की सुबह अक्सर।

                               सपनों की सुबह अक्सर।

सपनों की सुबह अक्सर आशाओं को एहसास दिलाती है लम्हों को खयालों की मुस्कान कोशिश देकर जाती है जज्बातों को कदमों की आस सुनाती है।

सपनों की सुबह अक्सर अरमानों को आस दिलाती है किनारों को अल्फाजों की पुकार अदा देकर जाती है इशारों को लहरों की आस सुनाती है।

सपनों की सुबह अक्सर आवाजों को मुस्कान दिलाती है एहसासों को उम्मीदों की कहानी खयाल देकर जाती है अरमानों को उजालों की आस सुनाती है।

सपनों की सुबह अक्सर दास्तानों को अल्फाज दिलाती है नजारों को दिशाओं की समझ अफसाना देकर जाती है दास्तानों को अल्फाजों की आस सुनाती है।

सपनों की सुबह अक्सर अंदाजों को सौगात दिलाती है उजालों को आवाजों की धून अहमियत देकर जाती है दिशाओं को लहरों की आस सुनाती है।

सपनों की सुबह अक्सर इशारों को तलाश दिलाती है अंदाजों को लम्हों की पहचान अल्फाज देकर जाती है अफसानों को कदमों की आस सुनाती है।

सपनों की सुबह अक्सर तरानों को उम्मीद दिलाती है राहों को बदलावों की मुस्कान सौगात देकर जाती है उम्मीदों को आशाओं की आस सुनाती है।

सपनों की सुबह अक्सर नजारों को अरमान दिलाती है जज्बातों को अंदाजों की परख पहचान देकर जाती है धाराओं को अफसानों की आस सुनाती है।

सपनों की सुबह अक्सर किनारों को पुकार दिलाती है खयालों को इशारों की कहानी अहमियत देकर जाती है आवाजों को बदलावों की आस सुनाती है।

सपनों की सुबह अक्सर लम्हों को पहचान दिलाती है आवाजों को राहों की सरगम बदलाव देकर जाती है कदमों को नजारों की आस सुनाती है।

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