Thursday, 24 October 2024

कविता. ५३०५. किनारों को सपनों की।

                                  किनारों को सपनों की।

किनारों को सपनों की सुबह एहसास दिलाती है लम्हों को खयालों की तलाश सुनाती है नजारों को दिशाओं की कहानी पहचान दिलाती है।

किनारों को सपनों की आस अरमान दिलाती है अंदाजों को बदलावों की मुस्कान सुनाती है उजालों को एहसासों की आहट पहचान दिलाती है।

किनारों को सपनों की उम्मीद अल्फाज दिलाती है दास्तानों को आशाओं की धून अफसाना सुनाती है लहरों को नजारों की कोशिश पहचान दिलाती है।

किनारों को सपनों की सोच तलाश दिलाती है इशारों को अल्फाजों की परख सरगम सुनाती है आवाजों को बदलावों की उमंग पहचान दिलाती है।

किनारों को सपनों की सौगात आस दिलाती है अफसानों को लहरों की मुस्कान अरमान सुनाती है जज्बातों को कदमों की आस पहचान दिलाती है।

किनारों को सपनों की कोशिश नजारा दिलाती है उजालों को इरादों की कोशिश आवाज सुनाती है तरानों को उम्मीदों की तलाश पहचान दिलाती है।

किनारों को सपनों की समझ अंदाज दिलाती है राहों को खयालों की समझ उम्मीद सुनाती है लम्हों को बदलावों की मुस्कान पहचान दिलाती है।

किनारों को सपनों की परख सहारा दिलाती है लहरों को इशारों की सोच अल्फाज सुनाती है उम्मीदों को अरमानों की पुकार पहचान दिलाती है।

किनारों को सपनों की उमंग आवाज दिलाती है नजारों को अदाओं की पुकार बदलाव सुनाती है आशाओं को अंदाजों की तलाश पहचान दिलाती है।

किनारों को सपनों की रोशनी सोच दिलाती है आवाजों को उजालों की उम्मीद सहारा सुनाती है इरादों को कदमों की कोशिश पहचान दिलाती है।

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