Monday, 7 October 2024

कविता ५२८८. इशारों को दास्तानों की।

                              इशारों को दास्तानों की।

इशारों को दास्तानों की परख पहचान दिलाती है लम्हों को खयालों की मुस्कान कोशिश दिलाती है सपनों को एहसासों की पुकार दिलाती है।

इशारों को दास्तानों की सोच सरगम दिलाती है किनारों को अल्फाजों की परख उमंग दिलाती है नजारों को दिशाओं की पुकार दिलाती है।

इशारों को दास्तानों की सौगात तलाश दिलाती है नजारों को एहसासों की कहानी सोच दिलाती है जज्बातों को कदमों की पुकार दिलाती है।

इशारों को दास्तानों की समझ अफसाना दिलाती है अदाओं को अरमानों की आहट सहारा दिलाती है अरमानों को आवाजों की पुकार दिलाती है।

इशारों को दास्तानों की आवाज धून दिलाती है अल्फाजों को उजालों की सुबह बदलाव दिलाती है अंदाजों को इरादों की पुकार दिलाती है।

इशारों को दास्तानों की आस अफसाना दिलाती है बदलावों को नजारों की कहानी पहचान दिलाती है खयालों को लहरों की पुकार दिलाती है।

इशारों को दास्तानों की रोशनी किनारा दिलाती है उम्मीदों को लम्हों की आस नजारा दिलाती है कदमों को अदाओं की पुकार दिलाती है।

इशारों को दास्तानों की उमंग अरमान दिलाती है उजालों को सपनों की पहचान आस दिलाती है दिशाओं को तरानों की पुकार दिलाती है।

इशारों को दास्तानों की लहर मुस्कान दिलाती है किनारों को अल्फाजों की तलाश सहारा दिलाती है नजारों को राहों की पुकार दिलाती है।

इशारों को दास्तानों की उम्मीद सोच दिलाती है जज्बातों को अंदाजों की कोशिश बदलाव दिलाती है सपनों को आशाओं की पुकार दिलाती है।

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