Wednesday, 30 October 2024

कविता. ५३११. रोशनी अलग एहसासों संग।

                          रोशनी अलग एहसासों संग।

रोशनी अलग एहसासों के संग पुकार सुनाती रहती है नजारों को दिशाओं की आहट आवाज देकर चलती है उजियारे को उम्मीदों की कोशिश मिलती है।

रोशनी अलग एहसासों के संग अरमान सुनाती रहती है जज्बातों को कदमों की कहानी सौगात देकर चलती है अरमानों को खयालों की कोशिश मिलती है।

रोशनी अलग एहसासों के संग मुस्कान सुनाती रहती है आशाओं को बदलावों की सोच अफसाना देकर चलती है तरानों को आवाजों की कोशिश मिलती है।

रोशनी अलग एहसासों के संग अफसाना सुनाती रहती है किनारों को अल्फाजों की समझ दास्तान देकर चलती है सपनों को अरमानों की कोशिश मिलती है।

रोशनी अलग एहसासों के संग उमंग सुनाती रहती है लहरों को इशारों की सरगम खयाल देकर चलती है बदलावों को लम्हों की कोशिश मिलती है।

रोशनी अलग एहसासों के संग आस सुनाती रहती है नजारों को अंदाजों की तलाश पहचान देकर चलती है दास्तानों को दिशाओं की कोशिश मिलती है।

रोशनी अलग एहसासों के संग कहानी सुनाती रहती है आवाजों को आशाओं की सोच बदलाव देकर चलती है आशाओं को किनारों की कोशिश मिलती है।

रोशनी अलग एहसासों के संग अंदाज सुनाती रहती है धाराओं को अफसानों की उमंग आवाज देकर चलती है लहरों को नजारों की कोशिश मिलती है।

रोशनी अलग एहसासों के संग सपना सुनाती रहती है इशारों को उम्मीदों की समझ तलाश देकर चलती है जज्बातों को कदमों की कोशिश मिलती है।

रोशनी अलग एहसासों के संग अफसाना सुनाती रहती है अदाओं को इशारों की राह सुबह देकर चलती है अंदाजों को दिशाओं की कोशिश मिलती है।


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कविता. ५४७२. ज्ञएहसास की कोई।

                           एहसास की कोई। एहसास की कोई पुकार तलाश दिलाती है कदमों को जज्बातों की आहट उजाला देकर जाती है अरमानों की आस सुनाती ...