Wednesday, 27 August 2025

कविता. ५६१२. अरमानों की आस संग।

                           अरमानों की आस संग।

अरमानों की आस संग एहसासों की कोशिश तलाश दिलाती है उम्मीदों को तरानों की सरगम पहचान की धाराएं देकर जाती है।

अरमानों की आस संग अफसानों की रोशनी आवाज दिलाती है लम्हों को अल्फाजों की समझ दुनिया की धाराएं देकर जाती है।

अरमानों की आस संग जज्बातों की पुकार इशारा दिलाती है कदमों को खयालों की सुबह कोशिश की धाराएं देकर जाती है।

अरमानों की आस संग आशाओं की लहर पहचान दिलाती है किनारों को अदाओं की सौगात तलाश की धाराएं देकर जाती है।

अरमानों की आस संग दास्तानों की उमंग सुबह दिलाती है उजालों को सपनों की सोच अल्फाज की धाराएं देकर जाती है।

अरमानों की आस संग अंदाजों की राह अफसाना दिलाती है नजारों को बदलावों की परख दास्तान की धाराएं देकर जाती है।

अरमानों की आस संग दिशाओं की उम्मीद एहसास दिलाती है अफसानों को जज्बातों की पहचान अदा की धाराएं देकर जाती है।

अरमानों की आस संग लम्हों की कोशिश अहमियत दिलाती है उजालों को आशाओं की महफिल उम्मीद की धाराएं देकर जाती है।

अरमानों की आस संग राहों की परख दास्तान दिलाती है इशारों को दिशाओं की अहमियत किनारे की धाराएं देकर जाती है।

अरमानों की आस संग नजारों की आहट तलाश दिलाती है आशाओं को सपनों की पुकार इरादे की धाराएं देकर जाती है।

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कविता. ५६३०. कदमों की सौगात संग।

                            कदमों की सौगात संग। कदमों की सौगात संग अरमानों की समझ इशारा दिलाती है लम्हों को सपनों की आहट एहसास देकर आगे बढती...