Sunday, 31 August 2025

कविता. ५६१६. इशारों को उजालों की।

                             इशारों को उजालों की।

इशारों को उजालों की अहमियत तलाश दिलाती है किनारों को कदमों की पुकार उमंग दिलाती है लम्हों को अल्फाजों की समझ सुनाती है।

इशारों को उजालों की कोशिश नजारा दिलाती है लहरों को खयालों की सुबह एहसास दिलाती है जज्बातों को राहों की समझ सुनाती है।

इशारों को उजालों की आवाज दास्तान दिलाती है सपनों को अरमानों की उम्मीद सरगम दिलाती है अदाओं को आशाओं की समझ सुनाती है।

इशारों को उजालों की मुस्कान बदलाव दिलाती है इरादों को एहसासों की सोच अफसाना दिलाती है दिशाओं को अंदाजों की समझ सुनाती है।

इशारों को उजालों की सौगात तराना दिलाती है आशाओं को आवाजों की आस आवाज दिलाती है बदलावों को दास्तानों की समझ सुनाती है।

इशारों को उजालों की आस पहचान दिलाती है अफसानों को जज्बातों की रोशनी कोशिश दिलाती है तरानों को नजारों की समझ सुनाती है।

इशारों को उजालों की लहर आहट दिलाती है अल्फाजों को दिशाओं की महफिल किनारा दिलाती है अरमानों को खयालों की समझ सुनाती है।

इशारों को उजालों की परख आस दिलाती है बदलावों को धाराओं की पहचान एहसास दिलाती है कदमों को एहसासों की समझ सुनाती है।

इशारों को उजालों की सौगात दास्तान दिलाती है अरमानों को सपनों की पुकार अहमियत दिलाती है आवाजों को लहरों की समझ सुनाती है।

इशारों को उजालों की उमंग मुस्कान दिलाती है दिशाओं को अंदाजों की रोशनी दास्तान दिलाती है उम्मीदों को दिशाओं की समझ सुनाती है।

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