Friday, 5 December 2025

कविता. ५७१२. किसी लहर संग आशाओं की।

                      किसी लहर संग आशाओं की।

किसी लहर संग आशाओं की पहचान कोशिश दिलाती है इशारों को जज्बातों की महफिल अक्सर अफसाना सुनाती है।

किसी लहर संग आशाओं की सौगात तलाश दिलाती है एहसासों को उजालों की सरगम अक्सर अफसाना सुनाती है।

किसी लहर संग आशाओं की दास्तान अरमान दिलाती है सपनों को अंदाजों की रोशनी अक्सर अफसाना सुनाती है।

किसी लहर संग आशाओं की उमंग अल्फाज दिलाती है तरानों को बदलावों की अहमियत अक्सर अफसाना सुनाती है।

किसी लहर संग आशाओं की परख आवाज दिलाती है कदमों को किनारों की आहट अक्सर अफसाना सुनाती है।

किसी लहर संग आशाओं की उम्मीद बदलाव दिलाती है दास्तानों को नजारों की कोशिश अक्सर अफसाना सुनाती है।

किसी लहर संग आशाओं की आस इरादा दिलाती है आवाजों को धाराओं की समझ अक्सर अफसाना सुनाती है।

किसी लहर संग आशाओं की पुकार सोच दिलाती है खयालों को उम्मीदों की सौगात अक्सर अफसाना सुनाती है।

किसी लहर संग आशाओं की उम्मीद तलाश दिलाती है लम्हों को अरमानों की सोच अक्सर अफसाना सुनाती है।

किसी लहर संग आशाओं की सुबह सपना दिलाती है बदलावों को आवाजों की धून अक्सर अफसाना सुनाती है।


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