Saturday 13 April 2019

कविता. २८०९. हर खयाल कि कश्ती को किनारे कि।

                                         हर खयाल कि कश्ती को किनारे कि।
हर खयाल कि कश्ती को किनारे कि जरुरत होती है एहसासों कि आंधी जज्बातों से उलझकर चलती रहती है किसी किनारे से जुडकर आशाओं कि सरगम बनती है सोच कोई अलगसी दिशाओं से जुडकर आगे चलती है कोशिश कि राहे जीवन मे रंग बदलती है किसी तलाश को समझ लेने कि कोशिश नयी सरगम संग आवाज कि धून बनकर चलती है किसी अलग राह से जुडकर एहसासों कि कहानी बनती रहती है।
हर खयाल कि कश्ती को किनारे कि अहमियत होती है आशाओं कि सौगात इशारों से  टकराकर चलती रहती है किसी कोशिश से जुडकर दिशाओं कि पुकार बनती है उमंग कोई अलगसी अदाओं से जुडकर आगे चलती है खयाल कि धारा बदलती है किसी इशारे को परख लेने कि उमंग नयी तलाश संग किनारे कि उम्मीद बनकर चलती है किसी अलग अफसाने से जुडकर कदमों कि सरगम कहानी बनती रहती है।
हर खयाल कि कश्ती को किनारे कि कोशिश होती है अंदाजों कि पहचान इरादों से उलझकर चलती रहती है किसी आस से जुडकर अदाओं कि सरगम बनती है आवाज कोई अलगसी एहसासों से जुडकर आगे चलती है जज्बात कि आस बदलती है किसी इरादे को आजमा लेने कि उम्मीद नयी कहानी संग रंगों कि आस बनकर चलती है किसी अलग अल्फाज से जुडकर अफसानों कि पहचान कहानी बनती रहती है।
हर खयाल कि कश्ती को किनारे कि दुनिया होती है आशाओं कि पुकार इशारों से जुडकर चलती रहती है  किसी आवाज से जुडकर धून कि कोशिश बनती है आस कोई अलगसी लहरों से जुडकर आगे चलती है दास्तान कि उम्मीद बदलती है किसी खयाल को समझ लेने कि जरुरत नयी खुशी संग आशाओं कि सौगात बनकर चलती है किसी अलग रोशनी से जुडकर आशाओं कि सौगात पुकार बनती रहती है।
हर खयाल कि कश्ती को किनारे कि पुकार होती है अंदाजों कि रोशनी उजालों से जुडकर चलती रहती है किसी अंदाज से जुडकर नजारे कि परख बनती है राह कोई अलगसी आशाओं से जुडकर आगे चलती है अदाओं कि उमंग बदलती है किसी कोशिश को परख लेने कि सौगात नयी कहानी संग जज्बातों कि समझ बनकर चलती है किसी अलग आवाज से जुडकर तरानों कि पहचान इशारे बनती रहती है।
हर खयाल कि कश्ती को किनारे कि उमंग होती है धाराओं कि परख दिशाओं से जुडकर चलती रहती है किसी कदम से जुडकर उजालों कि समझ बनती है पुकार कोई अलगसी पहचान से जुडकर आगे चलती है आवाजों कि धून बदलती है किसी परख को समझ लेने कि जरुरत नयी दिशा संग आशाओं कि सौगात बनकर चलती है किसी अलग रोशनी से जुडकर नजारों कि तलाश इरादे बनती रहती है।
हर खयाल कि कश्ती को किनारे कि परख होती है आशाओं कि सौगात तराने से जुडकर चलती रहती है किसी आवाज से जुडकर उम्मीदों कि रोशनी बनती है कदमों को कोई अलगसी परख से जुडकर आगे चलने कि उमंग देती है आवाजों कि धून बदलती है किसी तलाश को समझ लेने कि सौगात नयी उमंग संग कदमों कि निशानी बनकर चलती है किसी अलग आवाज से जुडकर पुकार कि रोशनी उजाले बनती रहती है।
हर खयाल कि कश्ती को किनारे कि पुकार होती है अंदाजों कि रोशनी उजाले से जुडकर चलती रहती है किसी उम्मीद से जुडकर नजारों कि तलाश बनती है जज्बातों को कोई अलगसी आस से जुडकर आगे चलने कि रोशनी देती है दास्तानों कि सौगात बदलती है किसी अंदाजों को समझ लेने कि उमंग नयी खुशी संग आशाओं कि सौगात बनकर चलती है किसी अलग रोशनी से जुडकर नजारों कि तलाश रोशनी बनती रहती है।
हर खयाल कि कश्ती को किनारे कि उम्मीद होती है आशाओं कि सौगात इशारे से जुडकर चलती रहती है किसी आस से जुडकर आवाजों कि धून बनती है दास्तानों को कोई अलगसी राह से जुडकर आगे चलने कि उमंग देती है उजाले को कदमों कि निशानी बदलती है किसी दास्तान को परख लेने कि जरुरत नयी रोशनी संग किनारों कि समझ बनकर चलती है किसी अलग आस से जुडकर आशाओं कि सुबह रंगों कि परख बनती रहती है।
हर खयाल कि कश्ती को किनारे कि उमंग होती है अंदाजों कि रोशनी उजाले से जुडकर चलती रहती है किसी अदा से जुडकर आगे चलने कि कोशिश देती है आवाज को धून कि तलाश बदलती है किसी पुकार कि रोशनी देती है दास्तान को अफसानों कि उम्मीद संग कहानियों कि अदाएं बनकर चलती है किसी परख को जज्बातों कि अल्फाज बनकर चलती है किसी अलग अंदाजों से जुडकर नजारों कि तलाश इशारे बनती रहती है।

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