Tuesday, 27 August 2024

कविता. ५२४७. दास्तान किसी खयाल संग।

                          दास्तान किसी खयाल संग।

दास्तान किसी खयाल संग आहट अलगसी देती है तरानों को उम्मीदों की सोच अफसाना दिलाती रहती है जज्बातों को कदमों की कहानी देती है।

दास्तान किसी खयाल संग कोशिश अलगसी देती है नजारों को दिशाओं की पहचान इशारा दिलाती रहती है बदलावों को लम्हों की कहानी देती है।

दास्तान किसी खयाल संग आवाज अलगसी देती है जज्बातों को अरमानों की तलाश सहारा दिलाती रहती है किनारों को सपनों की कहानी देती है।

दास्तान किसी खयाल संग पुकार अलगसी देती है दिशाओं को अंदाजों की समझ सरगम दिलाती है नजारों को अफसानों की कहानी देती है।

दास्तान किसी खयाल संग पहचान अलगसी देती है राहों को लहरों की सुबह एहसास दिलाती है आवाजों को अदाओं की कहानी देती है।

दास्तान किसी खयाल संग रोशनी अलगसी देती है सपनों को एहसासों की परख सपना दिलाती है आशाओं को उजालों की कहानी देती है।

दास्तान किसी खयाल संग सौगात अलगसी देती है अरमानों को राहों की मुस्कान अहमियत दिलाती है दिशाओं को कदमों की कहानी देती है।

दास्तान किसी खयाल संग सोच अलगसी देती है इशारों को एहसासों की तलाश किनारा दिलाती है बदलावों को अंदाजों की कहानी देती है।

दास्तान किसी खयाल संग आस अलगसी देती है आवाजों को जज्बातों की उमंग कोशिश दिलाती है तरानों को अल्फाजों की कहानी देती है।

दास्तान किसी खयाल संग लहर अलगसी देती है नजारों को दिशाओं की आहट नजारा दिलाती है अफसानों को किनारों की कहानी देती है।

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