Monday, 5 August 2024

कविता. ५२५५. अल्फाजों को किनारों संग।

                            अल्फाजों को किनारों संग।

अल्फाजों को किनारों संग आहट सहारा दिलाती है नजारों को लम्हों की तलाश इशारा दिलाती है अरमानों को दिशाओं की कहानी समझ दिलाती है।

अल्फाजों को किनारों संग मुस्कान रोशनी दिलाती है जज्बातों को अंदाजों की परख एहसास दिलाती है अंदाजों को कदमों की सोच समझ दिलाती है।

अल्फाजों को किनारों संग आवाज सौगात दिलाती है इरादों को आशाओं की मुस्कान उमंग दिलाती है आवाजों को राहों की कोशिश समझ दिलाती है।

अल्फाजों को किनारों संग सुबह नजारा दिलाती है जज्बातों को एहसासों की आहट खयाल दिलाती है इरादों को अफसानों की रोशनी समझ दिलाती है।

अल्फाजों को किनारों संग आस अंदाज दिलाती है लहरों को इशारों की पहचान तराना दिलाती है कदमों को उजालों की पुकार समझ दिलाती है।

अल्फाजों को किनारों संग उम्मीद दास्तान दिलाती है आशाओं को तरानों की कहानी लम्हा दिलाती है जज्बातों को अंदाजों की परख समझ दिलाती है।

अल्फाजों को किनारों संग पहचान तलाश दिलाती है अदाओं को खयालों की सौगात सुबह दिलाती है नजारों को दिशाओं की सरगम समझ दिलाती है।

अल्फाजों को किनारों संग आवाज सोच दिलाती है सपनों को उम्मीदों की कोशिश पहचान दिलाती है लहरों को इरादों की पुकार समझ दिलाती है।

अल्फाजों को किनारों संग सरगम परख दिलाती है आवाजों को बदलावों की धून आहट दिलाती है दास्तानों को जज्बातों की रोशनी समझ दिलाती है।

अल्फाजों को किनारों संग पुकार इशारा दिलाती है अफसानों को लहरों की सुबह परख दिलाती है सपनों को एहसासों की कहानी समझ दिलाती है।


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