Thursday, 29 August 2024

कविता. ५२४९. लम्हों को खयालों की।

                              लम्हों को खयालों की।

लम्हों को खयालों की मुस्कान कोशिश सुनाती है आशाओं को बदलावों की समझ अरमान सुनाती है जज्बातों को कदमों की रोशनी अफसाना सुनाती है।

लम्हों को खयालों की उमंग आवाज सुनाती है अंदाजों को जज्बातों की कहानी पहचान सुनाती है तरानों को अरमानों की पुकार अफसाना सुनाती है।

लम्हों को खयालों की सोच अहमियत सुनाती है दिशाओं को आवाजों की धून दास्तान सुनाती है उजालों को सपनों की आस अफसाना सुनाती है।

लम्हों को खयालों की परख एहसास सुनाती है कदमों को इशारों की सोच अल्फाज सुनाती है किनारों को बदलावों की सौगात अफसाना सुनाती है।

लम्हों को खयालों की राह बदलाव सुनाती है आशाओं को लहरों की पुकार तलाश सुनाती है दिशाओं को उजालों की सोच अफसाना सुनाती है।

लम्हों को खयालों की रोशनी कोशिश सुनाती है अरमानों को सपनों की सुबह तराना सुनाती है आवाजों को नजारों की आस अफसाना सुनाती है।

लम्हों को खयालों की समझ उमंग सुनाती है इशारों को किनारों की आहट अरमान सुनाती है किनारों को जज्बातों की अहमियत अफसाना सुनाती है।

लम्हों को खयालों की कोशिश तराना सुनाती है अफसानों को लहरों की कहानी पहचान सुनाती है इरादों को उम्मीदों की समझ अफसाना सुनाती है।

लम्हों को खयालों की अदा किनारा सुनाती है आवाजों को कदमों की रोशनी अल्फाज सुनाती है दास्तानों को एहसासों की सोच अफसाना सुनाती है।

लम्हों को खयालों की उम्मीद तलाश सुनाती है जज्बातों को अंदाजों की परख परख सुनाती है बदलावों को इरादों की सुबह अफसाना सुनाती है।

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