Thursday, 10 April 2025

कविता. ५४७३. अफसानों को कदमों की।

                          अफसानों को कदमों की।

अफसानों को कदमों की सौगात मुस्कान सुनाती है तरानों की सरगम संग कोशिश दिलाती है लम्हों को एहसासों की उमंग सुनाती है।

अफसानों को कदमों की पहचान इशारा सुनाती है बदलावों की सुबह संग जज्बात दिलाती है लहरों को खयालों की उमंग सुनाती है।

अफसानों को कदमों की आहट आवाज सुनाती है नजारों की आस संग अरमान दिलाती है सपनों को अंदाजों की उमंग सुनाती है।

अफसानों को कदमों की सोच लहर सुनाती है उम्मीदों की कश्ती संग अहमियत दिलाती है दास्तानों को किनारों की उमंग सुनाती है।

अफसानों को कदमों की पुकार कोशिश सुनाती है राहों की रोशनी संग आवाज दिलाती है अरमानों को उजालों की उमंग सुनाती है।

अफसानों को कदमों की परख अदा सुनाती है दास्तानों की उम्मीद संग अल्फाज दिलाती है इशारों को दिशाओं की उमंग सुनाती है।

अफसानों को कदमों की समझ अंदाज सुनाती है उजालों की सुबह संग इरादा दिलाती है किनारों को अरमानों की उमंग सुनाती है।

अफसानों को कदमों की आस खयाल सुनाती है तरानों की आहट संग खयाल दिलाती है आशाओं को आवाजों की उमंग सुनाती है।

अफसानों को कदमों की सुबह अरमान सुनाती है इशारों की तलाश संग आवाज दिलाती है इरादों को बदलावों की उमंग सुनाती है।

अफसानों को कदमों की राह इरादा सुनाती है अल्फाजों की दुनिया संग सरगम दिलाती है नजारों को लम्हों की उमंग सुनाती है।


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कविता. ५४८६. राहों को बदलावों की।

                             राहों को बदलावों की। राहों को बदलावों की पुकार मुस्कान दिलाती है लम्हों को अल्फाजों की समझ कोशिश सुनाती है उजाल...