Monday, 14 April 2025

कविता. ५४७७. खयालों की सरगम अक्सर।

                      खयालों की सरगम अक्सर।

खयालों की सरगम अक्सर सपना सुनाती है एहसासों से किनारों की मुस्कान अहमियत दिलाती है अदाओं की धून सुनाती है।

खयालों की सरगम अक्सर जज्बात सुनाती है तरानों से कदमों की समझ तलाश दिलाती है इशारों की धून सुनाती है।

खयालों की सरगम अक्सर आवाज सुनाती है अंदाजों से दास्तानों की राह कोशिश दिलाती है लहरों की धून सुनाती है।

खयालों की सरगम अक्सर पुकार सुनाती है दिशाओं से आशाओं की महफिल आवाज दिलाती है कदमों की धून सुनाती है।

खयालों की सरगम अक्सर आस सुनाती है लहरों से उजालों की सुबह बदलाव दिलाती है उम्मीदों की धून सुनाती है।

खयालों की सरगम अक्सर पहचान सुनाती है अरमानों से उम्मीदों की सौगात लम्हा दिलाती है तरानों की धून सुनाती है।

खयालों की सरगम अक्सर दास्तान सुनाती है आवाजों से जज्बातों की कोशिश सोच दिलाती है किनारों की धून सुनाती है।

खयालों की सरगम अक्सर तराना सुनाती है अल्फाजों से एहसासों की पुकार अफसाना दिलाती है इरादों की धून सुनाती है।

खयालों की सरगम अक्सर अरमान सुनाती है कदमों से इरादों की पहचान उजाला दिलाती है बदलावों की धून सुनाती है।

खयालों की सरगम अक्सर उमंग सुनाती है उम्मीदों से अल्फाजों की दुनिया इशारा दिलाती है राहों की धून‌ सुनाती है।

No comments:

Post a Comment

कविता. ५४९०. किनारों की आवाज संग।

                           किनारों की आवाज संग। किनारों की आवाज संग मुस्कान इशारा दिलाती है लम्हों को अल्फाजों की दुनिया सरगम सुनाती है तरान...