Tuesday, 24 December 2024

कविता. ५३६६. आशाओं को दास्तानों की।

                            आशाओं को दास्तानों की।

आशाओं को दास्तानों की परख कोशिश दिलाती है लहरों को नजारों की कहानी सरगम सुनाती है तरानों को अरमानों की पुकार दिलाती है।

आशाओं को दास्तानों की आस अल्फाज दिलाती है जज्बातों को राहों की सौगात तलाश सुनाती है उम्मीदों को कदमों की पुकार दिलाती है।

आशाओं को दास्तानों की उमंग मुस्कान दिलाती है सपनों को एहसासों की परख आवाज सुनाती है दिशाओं को राहों की पुकार दिलाती है।

आशाओं को दास्तानों की पहचान सहारा दिलाती है अंदाजों को इरादों की आस खयाल सुनाती है बदलावों को लम्हों की पुकार दिलाती है।

आशाओं को दास्तानों की रोशनी सुबह दिलाती है अरमानों को दिशाओं की समझ तराना सुनाती है आवाजों को अदाओं की पुकार दिलाती है।

आशाओं को दास्तानों की सोच सौगात दिलाती है किनारों को उजालों की सुबह एहसास सुनाती है अफसानों को इरादों की पुकार दिलाती है।

आशाओं को दास्तानों की राह अहमियत दिलाती है आवाजों को जज्बातों की सोच उम्मीद सुनाती है अल्फाजों को बदलावों की पुकार दिलाती है।

आशाओं को दास्तानों की समझ सरगम दिलाती है एहसासों को अरमानों की रोशनी आस सुनाती है लहरों को खयालों की पुकार दिलाती है।

आशाओं को दास्तानों की आहट तलाश दिलाती है लम्हों को किनारों की कोशिश आवाज सुनाती है अंदाजों को लहरों की पुकार दिलाती है।

आशाओं को दास्तानों की रोशनी किनारा दिलाती है लहरों को नजारों की कहानी सरगम सुनाती है उजालों को एहसासों की पुकार दिलाती है।

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