Sunday, 1 December 2024

कविता. ५३४३. लम्हों को किनारों संग।

                              लम्हों को किनारों संग।

लम्हों को किनारों संग एहसासों की समझ दिलाती है राहों को अरमानों की कहानी अफसाना सुनाती है कदमों को उजालों की सरगम सुनाती है।

लम्हों को किनारों संग आवाजों की धून दिलाती है सपनों को अंदाजों की कोशिश दास्तान सुनाती है अदाओं को जज्बातों की सरगम सुनाती है।

लम्हों को किनारों संग आशाओं की आस दिलाती है अरमानों को सपनों की सुबह जज्बात सुनाती है दिशाओं को इशारों की सरगम सुनाती है।

लम्हों को किनारों संग अल्फाजों की उम्मीद दिलाती है खयालों को इरादों की आस आवाज सुनाती है आशाओं को उम्मीदों की सरगम सुनाती है।

लम्हों को किनारों संग राहों की मुस्कान दिलाती है अंदाजों को बदलावों की सोच सौगात सुनाती है उजालों को आवाजों की सरगम सुनाती है।

लम्हों को किनारों संग अंदाजों की रोशनी दिलाती है अल्फाजों को नजारों की कोशिश मुस्कान सुनाती है जज्बातों को कदमों की सरगम सुनाती है।

लम्हों को किनारों संग दास्तानों की कोशिश दिलाती है लहरों को इशारों की आस अरमान सुनाती है तरानों को दास्तानों की सरगम सुनाती है।

लम्हों को किनारों संग बदलावों की सोच दिलाती है कदमों को अदाओं की परख पहचान सुनाती है इशारों को अफसानों की सरगम सुनाती है।

लम्हों को किनारों संग लहरों की परख दिलाती है एहसासों को उम्मीदों की सुबह पुकार सुनाती है आवाजों को सपनों की सरगम सुनाती है।

लम्हों को किनारों संग अदाओं की उमंग दिलाती है इशारों को कदमों की सोच अफसाना सुनाती है बदलावों को नजारों की सरगम सुनाती है।

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