Saturday, 30 November 2024

कविता. ५३४२. उजालों को सपनों की।

                              उजालों को सपनों की।

उजालों को सपनों की पहचान तलाश देकर जाती है अरमानों को किनारों संग पुकार तराना देकर जाती है एहसासों को अदाओं की मुस्कान देकर जाती है।

उजालों को सपनों की उमंग खयाल देकर जाती है आवाजों को राहों संग लहर अफसाना देकर जाती है इरादों को लम्हों की मुस्कान देकर जाती है।

उजालों को सपनों की सुबह पुकार देकर जाती है अंदाजों को बदलावों संग सोच किनारा देकर जाती है खयालों को लहरों की मुस्कान देकर जाती है।

उजालों को सपनों की सौगात किनारा देकर जाती है किनारों को अल्फाजों संग समझ एहसास देकर जाती है आशाओं को नजारों की मुस्कान देकर जाती है।

उजालों को सपनों की अदा बदलाव देकर जाती है दास्तानों को उम्मीदों संग आहट कोशिश देकर जाती है अफसानों को दिशाओं की मुस्कान देकर जाती है।

उजालों को सपनों की रोशनी तराना देकर जाती है खयालों को अंदाजों संग पुकार सहारा देकर जाती है अल्फाजों को अरमानों की मुस्कान देकर जाती है।

उजालों को सपनों की समझ कोशिश देकर जाती है इशारों को लम्हों संग उमंग एहसास देकर जाती है बदलावों को इरादों की मुस्कान देकर जाती है।

उजालों को सपनों की सोच एहसास देकर जाती है किनारों को जज्बातों संग आस आहट देकर जाती है अंदाजों को आशाओं की मुस्कान देकर जाती है।

उजालों को सपनों की उम्मीद परख देकर जाती है आवाजों को राहों संग सरगम इशारा देकर जाती है अल्फाजों को सपनों की मुस्कान देकर जाती है।

उजालों को सपनों की आस इरादा देकर जाती है आशाओं को एहसासों संग कोशिश तलाश देकर जाती है लम्हों को अफसानों की मुस्कान देकर जाती है।

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कविता. ५४७२. ज्ञएहसास की कोई।

                           एहसास की कोई। एहसास की कोई पुकार तलाश दिलाती है कदमों को जज्बातों की आहट उजाला देकर जाती है अरमानों की आस सुनाती ...