Sunday, 17 November 2024

कविता. ५३२९. सपनों की आस।

                                सपनों की आस।

सपनों की आस, हर पल एहसास दिलाती है लम्हों को खयालों की रोशनी एक इरादा देकर जाती है।

सपनों की आस, हर पल मुस्कान दिलाती है लहरों को अरमानों की कश्ती एक नजारा देकर जाती है।

सपनों की आस, हर पल तराना दिलाती है दास्तानों को जज्बातों की कहानी एक सरगम देकर जाती है।

सपनों की आस, हर पल किनारा दिलाती है उजालों को एहसासों की सुबह एक कोशिश देकर जाती है।

सपनों की आस, हर पल अरमान दिलाती है आवाजों को दास्तानों की परख एक खयाल देकर जाती है।

सपनों की आस, हर पल इशारा दिलाती है दिशाओं को कदमों की सोच एक अल्फाज देकर जाती है।

सपनों की आस, हर पल पहचान दिलाती है आशाओं को लहरों की मुस्कान एक अहमियत देकर जाती है।

सपनों की आस, हर पल अंदाज दिलाती है बदलावों को इरादों की कोशिश एक अरमान देकर जाती है।

सपनों की आस, हर पल उमंग दिलाती है अफसानों को अदाओं की पुकार एक उजाला देकर जाती है।

सपनों की आस, हर पल उम्मीद दिलाती है तरानों को जज्बातों की सौगात एक अफसाना देकर जाती है।

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कविता. ५४७१. लहरों की कहानी अक्सर।

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