Sunday, 10 November 2024

कविता. ५३२२. दास्तानों को अरमानों की।

                           दास्तानों को अरमानों की।

दास्तानों को अरमानों की उमंग खयाल दिलाती है लम्हों को संग पहचान इशारा दिलाती है एहसासों को उम्मीदों की कहानी पुकार सुनाती है।

दास्तानों को अरमानों की कोशिश नजारा दिलाती है किनारों संग आवाज आहट दिलाती है लम्हों को अफसानों की समझ पुकार सुनाती है।

दास्तानों को अरमानों की परख आस दिलाती है जज्बातों संग उम्मीद तलाश दिलाती है कदमों को उजालों की सुबह पुकार सुनाती है।

दास्तानों को अरमानों की सोच एहसास दिलाती है अंदाजो संग मुस्कान तराना दिलाती है नजारों को खयालों की रोशनी पुकार सुनाती है।

दास्तानों को अरमानों की बदलाव रोशनी दिलाती है अल्फाजों संग पहचान इरादा दिलाती है आवाजों को इशारों की सरगम पुकार सुनाती है।

दास्तानों को अरमानों की सरगम उम्मीद दिलाती है लहरों संग आहट एहसास दिलाती है दिशाओं को आवाजों की सौगात पुकार सुनाती है।

दास्तानों को अरमानों की सुबह लहर दिलाती है आवाजों संग धून अफसाना दिलाती है तरानों को उजालों की अहमियत पुकार सुनाती है।

दास्तानों को अरमानों की कहानी अंदाज दिलाती है दिशाओं संग अदा सौगात दिलाती है आशाओं को जज्बातों की उमंग पुकार सुनाती है।

दास्तानों को अरमानों की आस इरादा दिलाती है एहसासों संग तलाश सहारा दिलाती है खयालों को नजारों की कोशिश पुकार सुनाती है।

दास्तानों को अरमानों की सौगात पहचान दिलाती है सपनों संग आहट बदलाव दिलाती है किनारों को राहों की कहानी पुकार सुनाती है।

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