Thursday, 28 November 2024

कविता. ५३४०. किनारों को अल्फाजों की।

                            किनारों को अल्फाजों की।

किनारों को अल्फाजों की समझ सरगम सुनाती है तरानों संग आशाओं की कहानी तलाश दिलाती है राहों को अंदाजों की कोशिश आवाज दिलाती है।

किनारों को अल्फाजों की सोच अफसाना सुनाती है नजारों संग अरमानों की पुकार पहचान दिलाती है लहरों को इशारों की मुस्कान आवाज दिलाती है।

किनारों को अल्फाजों की परख अरमान सुनाती है जज्बातों संग लहरों की मुस्कान एहसास दिलाती है इरादों को कदमों की सोच आवाज दिलाती है।

किनारों को अल्फाजों की उमंग उम्मीद सुनाती है बदलावों संग सपनों की आस अफसाना दिलाती है नजारों को दिशाओं की सुबह आवाज दिलाती है।

किनारों को अल्फाजों की रोशनी सौगात सुनाती है लम्हों संग अंदाजों की धून अहमियत दिलाती है तरानों को जज्बातों की कहानी आवाज दिलाती है।

किनारों को अल्फाजों की पहचान सपना सुनाती है अदाओं संग दास्तानों की कोशिश बदलाव दिलाती है उजालों को आशाओं की लहर आवाज दिलाती है।

किनारों को अल्फाजों की पुकार जज्बात सुनाती है खयालों संग इरादों की सुबह अरमान दिलाती है बदलावों को अदाओं की परख आवाज दिलाती है।

किनारों को अल्फाजों की सोच कोशिश सुनाती है उजालों संग अरमानों की आस पहचान दिलाती है लम्हों को अफसानों की समझ आवाज दिलाती है।

किनारों को अल्फाजों की अदा अहमियत सुनाती है एहसासों संग राहों की सोच सौगात दिलाती है खयालों को उम्मीदों की तलाश आवाज दिलाती है।

किनारों को अल्फाजों की परख तराना सुनाती है कदमों संग आशाओं की पुकार उमंग दिलाती है दास्तानों को दिशाओं की सरगम आवाज दिलाती है।

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