Monday, 15 December 2025

कविता. ५७२२. लहरों को खयालों की।

                          लहरों को खयालों की।

लहरों को खयालों की सरगम एहसास सुनाती है दिशाओं को तरानों की सोच कोशिश दिलाती है सपनों को अंदाजों की पुकार सुनाती है।

लहरों को खयालों की आस अरमान सुनाती है आवाजों को धाराओं की मुस्कान उमंग दिलाती है नजारों को लम्हों की पुकार सुनाती है।

लहरों को खयालों की सुबह पहचान सुनाती है आशाओं को बदलावों की पहचान तलाश दिलाती है जज्बातों को इशारों की पुकार सुनाती है।

लहरों को खयालों की समझ आहट सुनाती है अल्फाजों को कदमों की आवाज सुबह दिलाती है उजालों को अरमानों की पुकार सुनाती है।

लहरों को खयालों की मुस्कान सपना सुनाती है तरानों को अफसानों की उम्मीद अल्फाज दिलाती है दिशाओं को किनारों की पुकार सुनाती है।

लहरों को खयालों की परख इशारा सुनाती है दास्तानों को एहसासों की समझ मुस्कान दिलाती है इरादों को अदाओं की पुकार सुनाती है।

लहरों को खयालों की रोशनी तलाश सुनाती है आशाओं को बदलावों की कहानी सोच दिलाती है उम्मीदों को इरादों की पुकार सुनाती है।

लहरों को खयालों की सौगात तराना सुनाती है दास्तानों को लम्हों की अहमियत राह दिलाती है किनारों को अंदाजों की पुकार सुनाती है।

लहरों को खयालों की आवाज इरादा सुनाती है अरमानों को उम्मीदों की आस अफसाना दिलाती है राहों को आशाओं की पुकार सुनाती है।

लहरों को खयालों की राह सरगम सुनाती है किनारों को जज्बातों की महफिल कोशिश दिलाती है लम्हों को बदलावों की पुकार सुनाती है।

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