Thursday, 13 July 2023

कविता. ४८६६. दास्तान को उम्मीदों की।

                                      दास्तान को उम्मीदों की।

दास्तान को उम्मीदों की सुबह कोशिश दिलाती है लम्हों को खयालों की रोशनी किनारा दिलाती है नजारों से जुड़कर दिशाओं की राह कहानी सुनकर जाती है।

दास्तान को उम्मीदों की समझ आस दिलाती है लहरों को इशारों की पुकार जज्बात दिलाती है अरमानों से जुड़कर किनारों की आहट कहानी सुनकर जाती है।

दास्तान को उम्मीदों की आवाज रोशनी दिलाती है कदमों को अदाओं की परख कोशिश दिलाती है लहरों से जुड़कर सपनों की सुबह कहानी सुनकर जाती है।

दास्तान को उम्मीदों की सौगात तलाश दिलाती है अंदाजों को बदलावों की मुस्कान उमंग दिलाती है इशारों से जुड़कर आशाओं की सरगम कहानी सुनकर जाती है।

दास्तान को उम्मीदों की सोच अफसाना दिलाती है किनारों को उजालों की पहचान सरगम दिलाती है कदमों से जुड़कर अंदाजों की आस कहानी सुनकर जाती है।

दास्तान को उम्मीदों की पहचान मुस्कान दिलाती है तरानों को इशारों की समझ अहमियत दिलाती है अल्फाजों से जुड़कर एहसासों की कोशिश कहानी सुनकर जाती है।

दास्तान को उम्मीदों की तलाश इशारा दिलाती है खयालों को अंदाजों की पुकार बदलाव दिलाती है आशाओं से जुड़कर तरानों की राह कहानी सुनकर जाती है।

दास्तान को उम्मीदों की कोशिश आवाज दिलाती है कदमों को अदाओं की पहचान खयाल दिलाती है उजालों से जुड़कर कदमों की सोच कहानी सुनकर जाती है।

दास्तान को उम्मीदों की सरगम पुकार दिलाती है किनारों को सपनों की सुबह अफसाना दिलाती है इरादों से जुड़कर लहरों की अहमियत कहानी सुनकर जाती है।

दास्तान को उम्मीदों की परख आस दिलाती है अफसानों को आशाओं की मुस्कान उमंग दिलाती है तरानों से जुड़कर जज्बातों की रोशनी कहानी सुनकर जाती है।

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