Friday, 28 July 2023

कविता. ४८८१. किनारों संग दास्तानों की।

                                   किनारों संग दास्तानों की।

किनारों संग दास्तानों की मुस्कान सहारा देती है कदमों को अदाओं की परख पहचान सुनाती है नजारों से इरादों की सौगात सरगम देती है।

किनारों संग दास्तानों की सुबह पुकार देती है लहरों को जज्बातों की कोशिश तलाश सुनाती है उजालों से एहसासों की आहट सरगम देती है।

किनारों संग दास्तानों की कहानी खयाल देती है लम्हों को अरमानों की पुकार बदलाव सुनाती है तरानों से दिशाओं की समझ सरगम देती है।

किनारों संग दास्तानों की कोशिश आस देती है अंदाजों को बदलावों की राह उम्मीद सुनाती है अफसानों से इशारों की सोच सरगम देती है।

किनारों संग दास्तानों की रोशनी समझ देती है कदमों को अदाओं की पुकार उमंग सुनाती है इरादों से आशाओं की परख सरगम देती है।

किनारों संग दास्तानों की सौगात तलाश देती है इरादों को आशाओं की सोच अफसाना सुनाती है अंदाजों से अल्फाजों की पहचान सरगम देती है।

किनारों संग दास्तानों की आहट तराना देती है राहों को अंदाजों की कोशिश बदलाव सुनाती है कदमों से धाराओं की पुकार सरगम देती है।

किनारों संग दास्तानों की सोच आवाज देती है लहरों को इशारों की समझ आवाज सुनाती है एहसासों से कदमों की परख सरगम देती है।

किनारों संग दास्तानों की राह सुबह देती है आशाओं को बदलावों की सोच जज्बात सुनाती है इरादों से आवाजों की धून सरगम देती है।

किनारों संग दास्तानों की उमंग खयाल देती है कदमों को अदाओं की आस उम्मीद सुनाती है अरमानों से दिशाओं की समझ सरगम देती है।

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