Friday, 14 July 2023

कविता. ४८६७. किनारों की पुकार अक्सर।

                                    किनारों की पुकार अक्सर।

किनारों की पुकार अक्सर एहसासों संग आहट दिलाती है कदमों को अदाओं की सरगम पहचान दिलाती है आशाओं की कोशिश आवाज दिलाती है।

किनारों की पुकार अक्सर उम्मीदों संग जज्बात दिलाती है अंदाजों को बदलावों की समझ नजारा दिलाती है राहों की सौगात आवाज दिलाती है।

किनारों की पुकार अक्सर आशाओं संग उमंग दिलाती है लम्हों को खयालों की मुस्कान बदलाव दिलाती है लहरों की सुबह आवाज दिलाती है।

किनारों की पुकार अक्सर अल्फाजों संग आस दिलाती है इशारों को दास्तानों की राह आहट दिलाती है लम्हों की मुस्कान आवाज दिलाती है।

किनारों की पुकार अक्सर उजालों संग कोशिश दिलाती है नजारों को कदमों की सोच अफसाना दिलाती है जज्बातों की रोशनी आवाज दिलाती है।

किनारों की पुकार अक्सर अरमानों संग इरादा दिलाती है जज्बातों को अदाओं की परख अहमियत दिलाती है खयालों की मुस्कान आवाज दिलाती है।

किनारों की पुकार अक्सर तरानों संग बदलाव दिलाती है सपनों को एहसासों की कहानी कोशिश दिलाती है उजालों की उमंग आवाज दिलाती है।

किनारों की पुकार अक्सर दिशाओं संग एहसास दिलाती है उजालों को सपनों की सुबह पहचान दिलाती है लम्हों की राह आवाज दिलाती है।

किनारों की पुकार अक्सर अंदाजों संग रोशनी दिलाती है नजारों को इशारों की आहट तलाश दिलाती है आशाओं की मुस्कान आवाज दिलाती है।

किनारों की पुकार अक्सर नजारों संग आस कोशिश दिलाती है कदमों को अफसानों की मुस्कान अरमान दिलाती है इशारों की सौगात आवाज दिलाती है।

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