Friday, 11 August 2023

कविता. ४८९५. किनारों को सपनों संग।

                                     किनारों को सपनों संग।

किनारों को सपनों संग एहसासों की आहट इशारा देती है नजारों को दिशाओं की सुबह पहचान देती है खयालों को अंदाजों की तलाश देती है।

किनारों को सपनों संग अरमानों की परख पहचान देती है कदमों को अदाओं की सौगात कोशिश देती है लहरों को इशारों की तलाश देती है।

किनारों को सपनों संग आवाजों की धून अरमान देती है तरानों को उम्मीदों की कहानी अल्फाज देती है नजारों को खयालों की तलाश देती है।

किनारों को सपनों संग इरादों की आस उमंग देती है दास्तानों को एहसासों की आहट सुबह देती है जज्बातों को आवाजों की तलाश देती है।

किनारों को सपनों संग कदमों की पुकार आस देती है बदलावों को आशाओं की मुस्कान रोशनी देती है अल्फाजों को लम्हों की तलाश देती है।

किनारों को सपनों संग दास्तानों की राह सरगम देती है नजारों को खयालों की पुकार अफसाना देती है कदमों को अदाओं की तलाश देती है।

किनारों को सपनों संग अल्फाजों की सुबह उम्मीद देती है उजालों को अंदाजों की आस राह देती है आशाओं को तरानों की तलाश देती है।

किनारों को सपनों संग नजारों की सरगम कोशिश देती है इशारों को लहरों की सुबह सोच देती है बदलावों को अंदाजों की तलाश देती है।

किनारों को सपनों संग जज्बातों की मुस्कान राह देती है अल्फाजों को लम्हों की अदा सरगम देती है नजारों को दिशाओं की तलाश देती है।

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