Friday 18 August 2023

कविता. ४९०२. .किनारों संग दास्तानों की।

                                        किनारों संग दास्तानों की।

किनारों संग दास्तानों की परख अरमान सुनाती है जज्बातों को कदमों की आस मुस्कान दिलाती है ‌‍‍एहसासों की पुकार से आशाओं की तलाश दिलाती है।

किनारों संग दास्तानों की राह इशारा सुनाती है नजारों को दिशाओं की उमंग लहर दिलाती है अंदाजों की परख से आवाजों की तलाश दिलाती है।

किनारों संग दास्तानों की सुबह इरादा सुनाती है लम्हों को अफसानों की समझ रोशनी दिलाती है कदमों की आस से अल्फाजों की तलाश दिलाती है।

किनारों संग दास्तानों की सौगात उम्मीद सुनाती है तरानों को अरमानों की परख पहचान दिलाती है लहरों की कहानी से एहसासों की तलाश दिलाती है।

किनारों संग दास्तानों की आहट खयाल सुनाती है लहरों को अंदाजों की आवाज पुकार दिलाती है नजारों की कोशिश से अफसानों की तलाश दिलाती है।

किनारों संग दास्तानों की कोशिश तराना सुनाती है कदमों को अदाओं की आस अफसाना दिलाती है दिशाओं की समझ से इशारों की तलाश दिलाती है।

किनारों संग दास्तानों की उमंग बदलाव सुनाती है दिशाओं को बदलावों की मुस्कान आस दिलाती है आशाओं की सोच से इरादों की तलाश दिलाती है।

किनारों संग दास्तानों की रोशनी आहट सुनाती है अल्फाजों को उजालों की सौगात इरादा दिलाती है खयालों की आस से अदाओं की तलाश दिलाती है।

किनारों संग दास्तानों की सरगम आस सुनाती है अरमानों को दिशाओं की कहानी कोशिश दिलाती है इरादों की सौगात से लम्हों की तलाश दिलाती है।

किनारों संग दास्तानों की सुबह अहमियत सुनाती है अंदाजों को बदलावों की परख सोच दिलाती है लहरों की आवाज से सपनों की तलाश दिलाती है।

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