Sunday 20 August 2023

कविता. ४९०४. उमंग किसी तराने संग।

                                         उमंग किसी तराने संग।

उमंग किसी तराने संग आसमान को छू जाती है एहसासों की आंधी अक्सर आशाओं को मुस्कान दिलाती है लहरों को इशारों की समझ सपना सुनाती है।

उमंग किसी तराने संग आवाज को छू जाती है कदमों की राह अक्सर अंदाजों को बदलाव दिलाती है लम्हों को दास्तानों की कहानी सपना सुनाती है।

उमंग किसी तराने संग आस को छू जाती है दिशाओं की कोशिश अक्सर किनारों को आहट दिलाती है उजालों को नजारों की सुबह सपना सुनाती है।

उमंग किसी तराने संग उम्मीद को छू जाती है किनारों की कहानी अक्सर खयालों को सौगात दिलाती है राहों को अंदाजों की आस सपना सुनाती है।

उमंग किसी तराने संग कोशिश को छू जाती है अरमानों की पुकार अक्सर दास्तानों को सुबह दिलाती है कदमों को अदाओं की पहचान सपना सुनाती है।

उमंग किसी तराने संग रोशनी को छू जाती है इशारों की समझ अक्सर उजालों को सरगम दिलाती है किनारों को आशाओं की सोच सपना सुनाती है।

उमंग किसी तराने संग खयाल को छू जाती है इरादों की कोशिश अक्सर अंदाजों को राह दिलाती है अल्फाजों को उजालों की सुबह सपना सुनाती है।

उमंग किसी तराने संग समझ को छू जाती है लहरों की परख अक्सर बदलावों को सौगात दिलाती है अंदाजों को बदलावों की मुस्कान सपना सुनाती है।

उमंग किसी तराने संग आहट को छू जाती है नजारों की सोच अक्सर इशारों को खयाल दिलाती है कदमों को जज्बातों की परख सपना सुनाती है।

उमंग किसी तराने संग तलाश को छू जाती है अफसानों की समझ अक्सर किनारों को सरगम दिलाती है नजारों को राहों की पुकार सपना सुनाती है।

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