Monday 21 February 2022

कविता. ४३६०. एहसास एक सरगम संग।

                                                           एहसास एक सरगम संग।

एहसास एक सरगम संग समझ कि लहर जगाता है अदाओं से अफसानों कि सौगात मुस्कान दिलाती है कदमों कि आहट मन कि पुकार सुनाती है।

एहसास एक सरगम संग अरमानों का सपना जगाता है आशाओं से कदमों कि आहट अफसाना दिलाती है राहों कि तलाश मन कि पुकार सुनाती है।

एहसास एक सरगम संग अंदाजों कि राह जगाता है किनारों से दास्तानों कि सुबह एहसास दिलाती है सपनों कि रोशनी मन कि पुकार सुनाती है।

एहसास एक सरगम संग आवाजों कि परख जगाता है अल्फाजों से दिशाओं कि उमंग पहचान दिलाती है आशाओं कि मुस्कान मन कि पुकार सुनाती है।

एहसास एक सरगम संग दास्तानों कि कोशिश जगाता है नजारों से जज्बातों कि सोच इरादा दिलाती है लहरों कि पहचान मन कि पुकार सुनाती है।

एहसास एक सरगम संग तरानों कि परख जगाता है दास्तानों से खयालों कि उम्मीद आवाज दिलाती है किनारों कि सौगात मन कि पुकार सुनाती है।

एहसास एक सरगम संग नजारों कि पहचान जगाता है दिशाओं से अंदाजों कि तलाश जज्बात दिलाती है राहों कि तलाश मन कि पुकार सुनाती है।

एहसास एक सरगम संग आशाओं कि मुस्कान जगाता है जज्बातों से अफसानों कि परख रोशनी दिलाती है लम्हों कि राह मन कि पुकार सुनाती है।

एहसास एक सरगम संग बदलावों कि आवाज़ जगाता है अंदाजों से आवाजों कि धून एहसास दिलाती है उजालों कि परख मन कि पुकार सुनाती है।

एहसास एक सरगम संग जज्बातों कि सोच जगाता है कदमों से दास्तानों कि पुकार अल्फाज दिलाती है उम्मीदों कि सौगात मन कि पुकार सुनाती है।

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