Monday 28 February 2022

कविता. ४३६७. तरानों पर सरगम संग।

                                                        तरानों पर सरगम संग।      ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌    

तरानों पर सरगम संग सपनों कि पुकार इशारा दिलाती है लम्हों को कदमों कि आस संग बदलाव जगाती है जज्बातों मे मुस्कान कि पहचान अहमियत सुनाती है।

तरानों पर सरगम संग आशाओं कि राह अदाएं दिलाती है नजारों को दिशाओं कि उमंग संग अरमान जगाती है कदमों मे आवाजों कि धून अहमियत सुनाती है।

तरानों पर सरगम संग इशारों कि पहचान मुस्कान दिखाती है लहरों को किनारों कि सोच संग इरादा जगाती है आशाओं मे बदलावों कि उमंग अहमियत सुनाती है।

तरानों पर सरगम संग अंदाजों कि उम्मीद तलाश दिलाती है सपनों को नजारों कि सुबह संग एहसास जगाती है लहरों मे जज्बातों कि सोच अहमियत सुनाती है।

तरानों पर सरगम संग अदाओं कि समझ किनारा दिलाती है आशाओं को जज्बातों कि पुकार संग खयाल जगाती है दिशाओं मे उजालों कि परख अहमियत सुनाती है।

तरानों पर सरगम संग दिशाओं कि सोच आस दिलाती है कदमों को दास्तानों कि पहचान संग आवाज जगाती है अंदाजों मे उम्मीदों कि सौगात अहमियत सुनाती है।

तरानों पर सरगम संग आशाओं कि उम्मीद कोशिश दिलाती है उजालों को अनजानीसी आहट कि पुकार संग आस जगाती है दास्तानों मे मुस्कान कि सोच अहमियत सुनाती है।

तरानों पर सरगम संग जज्बातों कि सौगात आवाज दिलाती है राहों को अरमानों कि धाराओं संग पहचान जगाती है कदमों मे नजारों कि मुस्कान अहमियत सुनाती है।

तरानों पर सरगम संग आवाजों कि धून एहसास दिलाती है सपनों को नजारों कि सौगात संग रोशनी जगाती है रोशनी मे दास्तानों कि सोच अहमियत सुनाती है।

तरानों पर सरगम संग नजारों कि तलाश पहचान दिलाती है आशाओं को अदाओं कि समझ संग अरमान जगाती है अल्फाजों मे दिशाओं कि उमंग अहमियत सुनाती है।

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