Sunday, 13 February 2022

कविता. एक आहट किसी इशारे का।

                                                      एक आहट किसी इशारे का।

एक आहट किसी इशारे का एहसास सुहाना देती है आशाओं को अदाओं कि नजर तराना देती है कदमों कि उमंग अक्सर अरमानों का किनारा देती है।

एक आहट किसी इशारे कि सुबह सुहानी देती है कोशिश को आवाजों कि मुस्कान रोशनी देती है तरानों कि राह अक्सर अफसानों का किनारा देती है।

एक आहट किसी इशारे का तराना सुहाना देती है नजारों को बदलावों कि उमंग पहचान देती है लहरों कि पुकार अक्सर खयालों का किनारा देती है।

एक आहट किसी इशारे का उजाला सुहाना देती है एहसासों को राहों कि तलाश आवाज देती है अदाओं कि सुबह अक्सर दास्तानों का किनारा देती है।

एक आहट किसी इशारे कि कोशिश सुहानी देती है दास्तानों को रोशनी कि पुकार अल्फाज देती है दिशाओं कि उम्मीद अक्सर लहरों का किनारा देती है।

एक आहट किसी इशारे कि राह सुहानी देती है अरमानों को लम्हों कि सौगात पहचान देती है उम्मीदों कि परख अक्सर जज्बातों का किनारा देती है।

एक आहट किसी इशारे कि सोच सुहानी देती है जज्बातों को अंदाजों कि उम्मीद कोशिश देती है दास्तानों कि सोच अक्सर कदमों का किनारा देती है।

एक आहट किसी इशारे कि उमंग सुहानी देती है लम्हों को कदमों कि आस अफसाना देती है दिशाओं कि राह अक्सर आशाओं का किनारा देती है।

एक आहट किसी इशारे का बदलाव सुहाना देती है लहरों को दास्तानों कि सोच इरादा देती है नजारों कि तलाश अक्सर अल्फाजों का किनारा देती है।

एक आहट किसी इशारे कि पहचान सुहानी देती है दिशाओं को उजालों कि पुकार अल्फाज देती है कदमों कि आस अक्सर नजारों का किनारा देती है।




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