Thursday 24 February 2022

कविता. ४३६३. पहचान अक्सर।

                                                                 पहचान अक्सर।

पहचान अक्सर रोशनी अलगसी दिलाती है लम्हों को कदमों कि आहट अफसाना सुनाती है किनारों पर उड़ान उजालों कि सरगम दिलाती है।

पहचान अक्सर राह अलगसी दिलाती है दास्तानों को बदलावों कि उमंग अरमान सुनाती है तरानों पर कोशिश उम्मीदों कि सरगम दिलाती है।

पहचान अक्सर लहर अलगसी दिलाती है आशाओं को अदाओं कि कोशिश अहमियत सुनाती है नजारों पर उमंग जज्बातों कि सरगम दिलाती है।

पहचान अक्सर कोशिश अलगसी दिलाती है दिशाओं को जज्बातों कि सोच अल्फाज सुनाती है अदाओं पर दास्तान लम्हों कि सरगम दिलाती है।

पहचान अक्सर सौगात अलगसी दिलाती है तरानों को अंदाजों कि तलाश खयाल सुनाती है आशाओं पर समझ राहों कि सरगम दिलाती है।

पहचान अक्सर परख अलगसी दिलाती है राहों को अरमानों कि सुबह एहसास सुनाती है अंदाजों पर नजार अफसानों कि सरगम दिलाती है।

पहचान अक्सर पुकार अलगसी दिलाती है आवाजों को लहरों कि राह कोशिश सुनाती है कदमों पर पुकार दिशाओं कि सरगम दिलाती है।

पहचान अक्सर आस अलगसी दिलाती है अदाओं को जज्बातों कि मुस्कान सौगात सुनाती है दास्तानों पर उम्मीद खयालों कि सरगम दिलाती है।

पहचान अक्सर सोच अलगसी दिलाती है खयालों को सपनों कि पुकार अल्फाज सुनाती है राहों पर उड़ान अफसानों कि सरगम दिलाती है।

पहचान अक्सर आवाज अलगसी दिलाती है नजारों को लम्हों कि उम्मीद एहसास सुनाती है बदलावों पर कोशिश इशारों कि सरगम दिलाती है।

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