Wednesday, 23 February 2022

कविता. ४३६२. आस कोई सरगम संग।

                                                          आस कोई सरगम संग।

आस कोई सरगम संग एहसास सुनाती है लम्हों कि मुस्कान अक्सर बदलाव दिलाती है सपनों कि पुकार सौगात सुनाती है अदाओं कि कोशिश संग खयाल दे जाती है।

आस कोई सरगम संग आवाज सुनाती है कदमों कि आहट अक्सर दास्तान दिलाती है नजारों कि तलाश पहचान सुनाती है आशाओं कि राह संग खयाल दे जाती है।

आस कोई सरगम संग अरमान सुनाती है किनारों कि सुबह अक्सर पहचान दिलाती है जज्बातों कि सोच अहमियत सुनाती है दिशाओं कि तलाश संग खयाल दे जाती है।

आस कोई सरगम संग जज्बात सुनाती है तरानों कि परख अक्सर कोशिश दिलाती है आशाओं कि परख तलाश सुनाती है नजारों कि सुबह संग खयाल दे जाती है।

आस कोई सरगम संग मुस्कान सुनाती है राहों कि तलाश अक्सर अफसाना दिलाती है अंदाजों कि उम्मीद सुबह सुनाती है लम्हों कि रोशनी संग खयाल दे जाती है।

आस कोई सरगम संग कोशिश सुनाती है लहरों कि पुकार अक्सर मुस्कान दिलाती है उजालों कि राह परख सुनाती है अंदाजों कि सोच संग खयाल दे जाती है।

आस कोई सरगम संग दास्तान सुनाती है लम्हों कि सौगात अक्सर राह दिलाती है तरानों कि पहचान मुस्कान सुनाती है दिशाओं कि उमंग संग खयाल दे जाती है।

आस कोई सरगम संग अल्फाज सुनाती है अदाओं कि कोशिश अक्सर इशारा दिलाती है कदमों कि आहट अफसाना सुनाती है किनारों कि पुकार संग खयाल दे जाती है।

आस कोई सरगम संग पुकार सुनाती है राहों कि तलाश अक्सर अल्फाज दिलाती है किनारों कि सुबह एहसास सुनाती है अंदाजों कि सोच संग खयाल दे जाती है।

आस कोई सरगम संग सुबह सुनाती है तरानों कि रोशनी अक्सर सौगात दिलाती है लम्हों कि पुकार अल्फाज सुनाती है तरानों कि लहर संग खयाल दे जाती है।




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