Tuesday 1 March 2022

कविता. ४३६८. एक खयाल संग।

                                                             एक खयाल संग।

एक खयाल संग आशाओं कि मुस्कान इशारा देती है किनारों को अंदाजों कि उम्मीद राह सुनाती है लम्हों को कदमों कि आस अफसाना दिलाती है।

एक खयाल संग अंदाजों कि उम्मीद एहसास देती है दास्तानों को बदलावों कि राह अल्फाज सुनाती है सपनों को नजारों कि सुबह अफसाना दिलाती है।

एक खयाल संग कदमों कि आहट नजारा देती है आशाओं को अदाओं कि समझ उजाला सुनाती है दास्तानों को बदलावों कि उमंग अफसाना दिलाती है।

एक खयाल संग आवाजों कि धून कोशिश देती है कदमों को दास्तानों कि सुबह जज्बात सुनाती है लम्हों को किनारों कि सोच अफसाना दिलाती है।

एक खयाल संग किनारों कि पुकार पहचान देती है तरानों को उम्मीदों कि सौगात कोशिश सुनाती है उजालों को अरमानों कि धाराएं अफसाना दिलाती है।

एक खयाल संग नजारों कि आस दास्तान देती है कोशिश को जज्बातों कि पुकार मुस्कान सुनाती है इशारों को अंदाजों कि उम्मीद अफसाना दिलाती है।

एक खयाल संग कोशिश कि सुबह सहारा देती है राहों को एहसासों कि तलाश पहचान सुनाती है अदाओं को लम्हों कि समझ अफसाना दिलाती है।

एक खयाल संग लहरों कि परख उम्मीद देती है नजारों को आवाजों कि सौगात आस सुनाती है अंदाजों को एहसासों कि मुस्कान अफसाना दिलाती है।

एक खयाल संग एहसासों कि तलाश आस देती है दिशाओं को उजालों कि परख नजारा सुनाती है लम्हों को किनारों कि सुबह अफसाना दिलाती है।

एक खयाल संग उम्मीदों कि सुबह कोशिश देती है तरानों को अंदाजों कि सोच अरमान सुनाती है राहों को आशाओं कि लहर अफसाना दिलाती है।

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