Wednesday 30 March 2022

कविता. ४३९७. हर सपने संग अफसानों कि।

                            हर सपने संग अफसानों कि।

हर सपने संग अफसानों कि सौगात कोशिश दिलाती है लहरों कि सोच अक्सर कदमों कि आहट से अरमान जगाती है तलाश संग पुकार सुनाती है।

हर सपने संग अफसानों कि परख पहचान दिलाती है दास्तानों कि सुबह अक्सर किनारों कि राह से एहसास जगाती है लम्हों संग पुकार सुनाती है।

हर सपने संग अफसानों कि सोच इरादा दिलाती है नजारों कि आस अक्सर इशारों कि सौगात से बदलाव जगाती है उजालों संग पुकार सुनाती है।

हर सपने संग अफसानों कि आवाज धून दिलाती है तरानों कि सरगम अक्सर आशाओं कि सुबह से राह जगाती है कदमों संग पुकार सुनाती है।

हर सपने संग अफसानों कि सौगात बदलाव दिलाती है उम्मीदों कि लहर अक्सर अदाओं कि समझ से पहचान जगाती है दिशाओं संग पुकार सुनाती है।

हर सपने संग अफसानों कि आस परख दिलाती है जज्बातों कि सोच अक्सर नजारों कि परख से अल्फाज जगाती है बदलावों संग पुकार सुनाती है।

हर सपने संग अफसानों कि सौगात कोशिश दिलाती है किनारों कि सुबह अक्सर बदलावों कि उमंग से खयाल जगाती है लहरों संग पुकार सुनाती है।

हर सपने संग अफसानों कि रोशनी खयाल दिलाती है लम्हों कि सौगात अक्सर नजारों कि तलाश से बदलाव जगाती है राहों संग पुकार सुनाती है।

हर सपने संग अफसानों कि कोशिश अरमान दिलाती है उम्मीद कि सोच अक्सर बदलावों कि सुबह से उमंग जगाती है कदमों संग पुकार सुनाती है।

हर सपने संग अफसानों कि राह बदलाव दिलाती है उजालों कि सुबह अक्सर किनारों कि पहचान से तलाश जगाती है नजारों संग पुकार सुनाती है।

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