Saturday, 19 March 2022

कविता. ४३८६. सपना अक्सर लम्हों संग।

                                                           सपना अक्सर लम्हों संग।

सपना अक्सर लम्हों संग आशाओं कि लहर दिलाता है किनारों कि पुकार के संग आवाजों कि धून से जुड़कर नजारा दिलाता है।

सपना अक्सर लम्हों संग दिशाओं कि सौगात दिलाता है उजालों कि परख के संग अंदाजों कि राह से मिलकर पुकार दिलाता है।

सपना अक्सर लम्हों संग जज्बातों कि आस दिलाता है तरानों कि राह के संग अफसानों कि सौगात से परखकर पहचान दिलाता है।

सपना अक्सर लम्हों संग नजारों कि सुबह दिलाता है दास्तानों कि कोशिश के संग दिशाओं कि उमंग से जुड़कर किनारा दिलाता है।

सपना अक्सर लम्हों संग अदाओं कि समझ दिलाता है लहरों कि पहचान के संग आशाओं कि मुस्कान से मिलकर इशारा दिलाता है।

सपना अक्सर लम्हों संग लहरों कि पुकार दिलाता है आशाओं कि राह के संग किनारों कि सुबह से परखकर खयाल दिलाता है।

सपना अक्सर लम्हों संग आवाजों कि धून दिलाता है उजालों कि सौगात के संग कदमों कि आहट से मिलकर सोच दिलाता है।

सपना अक्सर लम्हों संग कदमों कि आहट दिलाता है आवाजों कि धून के संग कोशिश कि सोच से जुड़कर जज्बात दिलाता है।

सपना अक्सर लम्हों संग राहों कि तलाश दिलाता है इशारों कि पहचान के संग आवाजों कि धून से परखकर सौगात दिलाता है।

सपना अक्सर लम्हों संग दिशाओं कि उमंग दिलाता है लहरों कि पुकार के संग खयालों कि उम्मीद से मिलकर इशारा दिलाता है।


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