Tuesday, 22 March 2022

कविता. ४३८९. कोशिश संग अरमानों कि।

                                         कोशिश संग अरमानों कि।

कोशिश संग अरमानों कि पुकार सहारा देती है नजारों संग आशाओं कि सरगम तराना दिलाती है कदमों को दास्तानों कि सोच सुनाती है।

कोशिश संग अरमानों कि सौगात इशारा देती है जज्बातों संग किनारों कि सुबह दास्तान सुनाती है राहों को एहसासों कि सोच सुनाती है।

कोशिश संग अरमानों कि सुबह तराना देती है कदमों संग दिशाओं कि उमंग अल्फाज दिलाती है सपनों को नजारों कि सोच सुनाती है।

कोशिश संग अरमानों कि धाराएं अंदाज देती है किनारों संग जज्बातों कि पुकार पहचान दिलाती है लहरों को अफसानों कि सोच सुनाती है।

कोशिश संग अरमानों कि परख पहचान देती है दास्तानों संग अल्फाजों कि सरगम परख दिलाती है लम्हों को दिशाओं कि सोच सुनाती है।

कोशिश संग अरमानों कि समझ पुकार देती है तरानों संग आवाजों कि धून मुस्कान दिलाती है अदाओं को लम्हों कि सोच सुनाती है।

कोशिश संग अरमानों कि आस अफसाना देती है उजालों संग अदाओं कि समझ बदलाव दिलाती है नजारों को आवाजों कि सोच सुनाती है।

कोशिश संग अरमानों कि पुकार जज्बात देती है आशाओं संग अंदाजों कि राह किनारा दिलाती है सपनों को इरादों कि सोच सुनाती है।

कोशिश संग अरमानों कि तलाश पहचान देती है दास्तानों संग अल्फाजों कि मुस्कान आस दिलाती है राहों को किनारों कि सोच सुनाती है।

कोशिश संग अरमानों कि सरगम रोशनी देती है नजारों संग आशाओं कि पहचान आवाज दिलाती है जज्बातों को अंदाजों कि सोच सुनाती है।

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