Friday 11 March 2022

कविता. ४३७८. उस कोशिश संग अरमानों कि।

                                                  उस कोशिश संग अरमानों कि।
उस कोशिश संग अरमानों कि पहचान उम्मीदे देती है नजारों को आवाजों कि धून मुस्कान देकर चलती है कदमों कि आहट से पुकार मिलती है।
उस कोशिश संग अरमानों कि सुबह एहसास देती है तरानों को अंदाजों कि तलाश सुनाकर चलती है आवाजों कि धून से पुकार मिलती है।
उस कोशिश संग अरमानों कि सोच इरादा देती है लहरों को अफसानों कि सरगम दिलाकर चलती है आशाओं कि मुस्कान से पुकार मिलती है।
उस कोशिश संग अरमानों कि परख धाराएं देती है लम्हों को किनारों कि सुबह एहसास देकर चलती है अंदाजों कि राह से पुकार मिलती है।
उस कोशिश संग अरमानों कि सौगात सहारा देती है सपनों को दास्तानों कि सोच इरादा सुनाकर चलती है जज्बातों कि सोच से पुकार मिलती है।
उस कोशिश संग अरमानों कि आहट दास्तान देती है आवाजों को लम्हों कि सौगात बदलाव दिलाकर चलती है राहों कि तलाश से पुकार मिलती है।
उस कोशिश संग अरमानों कि सरगम आस देती है किनारों को आशाओं कि परख पहचान देकर चलती है खयालों कि उम्मीद से पुकार मिलती है।
उस कोशिश संग अरमानों कि राह बदलाव देती है अंदाजों को एहसासों कि तलाश आवाज सुनाकर चलती है अदाओं कि समझ से पुकार मिलती है।
उस कोशिश संग अरमानों कि मुस्कान रोशनी देती है अल्फाजों को राहों कि सौगात आस दिलाकर चलती है उम्मीदों कि सुबह से पुकार मिलती है।
उस कोशिश संग अरमानों कि आस सौगात देती है तरानों को अंदाजों कि उम्मीद इशारा देकर चलती है उजालों कि परख से पुकार मिलती है।

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